नई दिल्ली। भारतीय एथलेटिक्स महासंघ (एएफआई) द्वारा 2014 राष्ट्रमंडल खेलों में आखिरी समय पर हाइपरएंड्रोजेनिम्स (एक मेडिकल कंडीशन) के कारण टीम से बाहर की गईं फर्राटा धावक दुती चंद अब अपने अतीत की बुरी यादों को पीछे छोड़ नए सिरे से शुरुआत करने को तैयार हैं। दुती की नजरें अब 18 अगस्त से इंडोनेशिया के जकार्ता में शुरू होने वाले एशियाई खेलों में अपना सर्वश्रेष्ठ देने पर हैं। हाइपरएंड्रोजेनिम्स एक प्रकार की मेडिकल कंडीशन है, जिसमें महिलाओं के शरीर में एंड्रोजेन्स (टेस्टोस्टेरोन जैसे पुरुष सेक्स हार्मोन) की अधिकता हो जाती है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
दुनियाभर में कई एथलीट इस मेडिकल कंडीशन के कारण मुश्किल झेल चुकी हैं। दुती ने 2014 के उस हादसे के बाद खेल पंचाट न्यायालय (सीएएस) में अपील की थी और एक साल बाद सीएएस ने उन्हें फौरी राहत दी थी। हाल ही में आए एक फैसले के बाद अब दुती अपनी स्पर्धा 100 मीटर के लिए तैयार हैं। दुती ने आईएएनएस से बातचीत में 2014 के अपने सफर को काफी चुनौतीपूर्ण बताया और कहा, चार साल पहले मुझे निकाल दिया गया था। अब चार साल बाद मैं एक बार फिर तैयार और खुश हूं। मेरा सपना अधूरा रह गया था। अब मौका मिला है पूरा करने का।
ओडिशा की रहने वाली इस खिलाड़ी ने कहा, 2014 में अपील की थी और 2015 में रिलीफ मिला। अभी हाल ही में जो फैसला आया है। उसके हिसाब से 100 मीटर में दौड़ सकती हूं। वो जो चार साल थे वो काफी बुरे थे। हमेशा एक मानसिक दबाव रहता था। ट्रेनिंग के दौरान ही उस मामले से जुड़ी खबर आ जाती थी। इसलिए हमेशा डर रहता था कि क्या होगा क्या नहीं।
उन्होंने कहा, हमेशा यह सोचती थी कि अगर इस मामले में फैसला पक्ष में नहीं आया तो क्या करूंगी। मेरे साथ के लोग हमेशा कहता थे कि जब तक खेल सकती हो, खेलो। मुश्किल के इस क्षण में दुती के कोच रमेश ने भी उनकी हिम्मत बढ़ाई। रमेश कहते हैं कि दुती ने उस समय काफी दुख झेला और आज उस दौर से निकलकर वह जहां खड़ी हैं, वह बहुत बड़ी बात है।
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