नई दिल्ली। इंडियन ओपन बॉक्सिंग टूर्नामेंट के पहले संस्करण में उच्च श्रेणी के मुक्केबाजों को धूल चटाने वाले दिनेश डागर का अब एक ही लक्ष्य है- ओलंपिक और विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतना। वरिष्ठ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने पहले टूर्नामेंट में 22 वर्षीय डागर इंडिया डी टीम के सदस्य थे। इंडिया ए और बी की टीम में देश के शीर्ष मुक्केबाज होते हैं, जबकि सी और डी टीम में कम अनुभवी मुक्केबाजों को जगह दी जाती है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
दिनेश ने टूर्नामेंट के क्वार्टर फाइनल में 2013 विश्व चैंपिनशिप के रजत पदक विजेता क्यूबा के अरिसनॉइड्स डिस्पेंजनी और सेमीफाइनल में भारत के दिग्गज मुक्केबाज मनोज कुमार को मात दी। हालांकि, उनकी बाईं आंख के ऊपर लगी चोट के कारण वे पुरुष वेल्टरवेट (69 किलोग्राम) के फाइनल में उज्बेकिस्तान के बोबो उस्मान बटूरोव से हार गए। दिनेश ने आईएएनएस को बताया, मेरे ऊपर किसी प्रकार का दवाब नहीं है, क्योंकि मैं अभी कनिष्ठ श्रेणी से उभरकर आ रहा हूं।
मेरे पास हारने के लिए कुछ नहीं है और पाने के लिए सब कुछ है। मैं इंडिया डी टीम का सदस्य था। मैं इससे नीचे नहीं जा सकता। दिनेश ने कहा, मैं जानता था कि मैं स्वर्ण पदक जीतने के योग्य हूं, इसलिए मैं बिना किसी दबाव के लड़ा। मैं चोटिल हो गया, वरना मुझे चैंपियन बनने से कोई नहीं रोक सकता था। इस टूर्नामेंट में दिनेश भारत के लिए सबसी बड़ी खोज रहे और भारत सात स्वर्ण पदकों की तालिका में शीर्ष पर रहा। दिनेश की नजर अब राष्ट्रमंडल खेलों और एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने पर है।
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