पदार्पण के साथ ही चीन ने पदकों का शतक पूरा किया था। तेहरान में उसके
अलावा जापान ही ऐसा कर सका था। इसके बाद, 1978 के बैंकॉक एशियाई खेलों में
चीन 51 स्वर्ण के साथ दूसरे स्थान पर पहुंच गया। जापान हालांकि 70 स्वर्ण
के साथ पहले स्थान पर रहा। चीन ने नई दिल्ली में 1982 में हुए एशियाई खेलों
में तालिका में 61 स्वर्ण के साथ पहला स्थान हासिल किया और इन खेलों में
जापान का वर्चस्व खत्म किया। ये भी पढ़ें - टेस्ट सीरीज से बाहर हुए कमिंस व हैजलवुड, ये ले सकते हैं जगह
इसके बाद चीन ने पीछे मुड़ के नहीं देखा। 1986
में सियोल में उसने 94 स्वर्ण पदक जीते। यहां वह पहली बार 200 पदकों के
पार गया। इसके बाद चीन ने 1990 में अपनी मेजबानी में कुल 183 स्वर्ण जीते
और फिर लगातार सात मौकों पर स्वर्ण पदकों का शतक लगाया। ग्वांगझू में चीन
ने अपनी मेजबानी में 199 स्वर्ण जीतकर कीर्तिमान स्थापित किया था। उसके नाम
119 रजत और 98 कांस्य भी थे। चीन के बाद जापान और फिर दक्षिण कोरिया का
स्थान है।
ये तीनों देश 2000 से अधिक पदक जीत चुके हैं। जापान अब तक के सभी
संस्करणों में हिस्सा ले चुका है, जबकि कोरिया 1954 के बाद के सभी
संस्करणों में शामिल रहा है। एक तरफ जहां चीन के पदकों की संख्या में कमी
आई है वहीं दूसरी ओर जापान ने बीते संस्करण की तुलना में अपने पदकों की
संख्या में इजाफा किया है। जापान ने पिछले संस्करण में 47 स्वर्ण, 77 रजत
और 76 कांस्य के साथ कुल 200 पदक अपने नाम किए थे जबकि इस बार उसने अपने
प्रदर्शन में सुधार करते हुए 75 स्वर्ण, 56 रजत और 74 कांस्य के साथ 205
पदक जीते।
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