नई दिल्ली। अपने खर्चे पर मनजीत सिंह चहल को दो साल तक प्रशिक्षण देने वाले कोच अमरीश सिंह का कहना है कि सभी लोगों ने मनजीत पर से भरोसा खो दिया था, लेकिन मैंने और मनजीत ने हार नहीं मानी, क्योंकि हमें विश्वास था कि हम जीत सकते हैं। अमरीश ने आईएएनएस के साथ साक्षात्कार में बताया कि मनजीत का स्वर्ण उनकी कड़ी मेहनत और लगन का नतीजा है। उल्लेखनीय है कि मनजीत ने इंडोनेशिया में जारी 18वें एशियाई खेलों में पुरुषों की 800 मीटर रेस का स्वर्ण पदक अपने नाम किया। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
उन्होंने इस स्पर्धा को एक मिनट और 46.15 सेकेंड में समाप्त किया। दो साल पहले खराब फॉर्म के कारण ओएनजीसी ने मनजीत के साथ किया करार खत्म कर दिया था। उस समय 27 साल के मनजीत को यह कह दिया गया था कि उनकी उम्र हो चुकी है और अब वे कुछ नहीं कर सकते। उनका करियर खत्म हो गया है। भारतीय सेना के जाट रेजीमेंट में सूबेदार अमरीश के पास मनजीत दो साल पहले आए थे।
नौकरी न रहने के कारण कोच अमरीश ने दो साल तक अपने खर्चे पर मनजीत को प्रशिक्षण दिया था। वे राष्ट्रीय शिविर में अप्रैल में शामिल हुए थे। ऐसे में अपना आत्मविश्वास खोच चुके मनजीत को भारतीय सेना के एथलेटिक्स का मुख्य कोच सूबेदार अमरिश कुमार ने सहारा दिया। उन्होंने आईएएनएस से कहा, सभी ने यह कहा था कि इसकी उम्र हो चुकी है और यह कुछ नहीं कर पाएगा। केवल हम दोनों के विचार एक जैसे थे और मैंने इसे प्रशिक्षण जारी रखने के लिए प्रेरित किया।
बकौल अमरीश, मेरा यह मानना है कि घोड़ा और आदमी तब तक बूढ़ा नहीं होता, जब तक उसकी अच्छी खुराक और प्रशिक्षण जारी रहता है। मैंने मनजीत से कहा कि वे कुछ नहीं कर सकते, यह गलतफहमियां हमें दूर करनी है और हमारे पास दो साल है। देखिए, आखिरकार हमने सफलता हासिल की। अपनी क्षमता से हार मान चुके मनजीत ने अपने कोच से कहा था कि उनकी नौकरी छूट चुकी है और ऐसे में वे असहाय हैं। मनजीत खेल को छोडऩा चाहते थे।
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