नई दिल्ली। जकार्ता में जारी 18वें एशियाई खेलों की घुड़सवारी की पुरुषों की एकल स्पर्धा में रजत पदक जीत 36 साल का सूखा खत्म करने वाले भारत के घुड़सवार फवाद मिर्जा अपनी ऐतिहासिक सफलता से बेहद खुश हैं, लेकिन उन्हें साथ ही अफसोस है कि वे स्वर्ण से चूक गए। फवाद को स्वर्ण न मिलने का इतना मलाल रहा कि कुछ दिन वे ठीक से सो नहीं पाए लेकिन फिर उन्होंने अपने मन को समझाया और अब उनका ध्यान और ज्यादा मेहनत कर पदक का रंग बदलने और ओलम्पिक में देश का प्रतिनिधित्व करने और पदक जीतने पर है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
फवाद ने फाइनल में 26.40 का स्कोर कर एकल स्पर्धा का रजत पदक हासिल किया। फवाद ने आईएएनएस से फोन पर बातचीत में माना कि उन्हें स्वर्ण न मिलने का मलाल है। उन्होंने कहा, हां, मुझे इस बात का अफसोस है। यह ऐसी बात थी जिसने मुझे सोने नहीं दिया। बेशक मुझे रजत पदक से संतोष करना पड़ा हो, लेकिन इसने मुझे सफलता के लिए और भूखा बना दिया है। मैं अपनी मेहनत जारी रखूंगा और आने वाले दिनों में भारत के लिए और बेहतर प्रदर्शन करूंगा।
फवाद ने अपनी इस सफलता के लिए बेंगलुरू स्थित एम्बेसी इंटरनेशनल राइडिंग स्कूल (ईआईआरएस) और इसके चेयरमैन तथा प्रबंध निदेशक जीतू विरवानी का शुक्रिया अदा किया है। विरवानी बड़े उद्योगपति हैं और उनके द्वारा तैयार ईआईआरएस भारत में वैश्विक स्तर का एकमात्र राइडिंग स्कूल है। उन्होंने कहा, मैं जीतू विरवानी और एम्बेसी राइडिग स्कूल का शुक्रगुजार हूं, जिन्होंने मुझे यह मौका दिया कि मैं एशियाई खेलों में देश का प्रतिनिधित्व कर सकूं।
साथ ही मैं काफी खुश हूं और मुझे अपनी इस सफलता पर गर्व है। मुझे उम्मीद है कि हम भविष्य में और आगे जाएंगे। उन्होंने कहा, मुझे पूरा भरोसा है कि हमारी यह सफलता इस खेल की लोकप्रियता को बढ़ावा देगी और कई लोग इस खेल को अपनाएंगे। हमारे पास खेल से संबंधी स्तरीय सुविधाएं है बस हमें कुछ ऐसा करने की जरूरत थी, जिससे इस खेल में जान फूंकी जा सके और मुझे लगता है कि एशियाई खेलों में मिले पदक यही काम करेंगे।
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