दिरांग घाटी (अरुणाचल प्रदेश) । पूर्व भारतीय राष्ट्रीय रैली चैंपियन अमनप्रीत आहलुवालिया अरुणाचल की पहाडिय़ों के निर्विवाद विजेता बनकर उभरे हैं। सोमवार को उन्होंने दिरांग घाटी की मनमोहक वादियों में चल रही जेके टायर अरुणाचल फेस्टिवल ऑफ स्पीड प्रतियोगिता का खिताब अपने नाम कर लिया। नोएडा के दिग्गज रैली ड्राइवर अमनप्रीत और उनके सह चालक अजय कुमार इस प्रतियोगिता में तीनों दिन बाकी रैली ड्राइवरों पर हावी रहे। दोनों ने इस प्रतियोगिता के 10 चरणों में से कुल आठ पर कब्जा जमाया, साथ ही दस लाख इनामी राशि का सबसे बड़ा हिस्सा भी अपने नाम किया।
तीसरे और निर्णायक दिन भी उन्होंने शुरूआती तीनों विशेष चरण आसानी से जीत लिये,हालांकि आखिरी चरण में वो जरूर पिछड़ गए। उन्होंने सारे चरणों को पूरा करने के लिए 1 घंटे से थोड़ा ही ज्यादा वक्त लिया, इनमें पहले दिन के सुपर स्पेशल चरण की रेस भी शामिल थी। अमनप्रीत ने पूरे मुकाबले को जीतने के दौरान अपने निकटतम प्रतिद्वंदी पर 27 सेकेंड की बढ़त बनाए रखी थी। जीत के बाद अमनप्रीत ने कहा, ह्लइतनी अच्छी कारों वाले दिग्गज ड्राइवरों के साथ मुकाबला करना वाकई गर्व की बात है। लेकिन पहाड़ों पर रेसिंग करने के लिए मैं बाकी ड्राइवरों के मुकाबले बेहतर स्थिति में रहा। मुझे लगता है कि यहां रफ्तार के बजाय तकनीक का इस्तेमाल जरूरी था, और मैंने बाकी रेसरों के मुकाबले अच्छी तकनीक अपनाई। ह्व
भारत में सबसे बड़ी रैली कार वर्कशॉप के मालिक अमनप्रीत ने अपनी कामयाबी का पूरा श्रेय अपनी 1300 सीसी की टर्बो चार्ज जिप्सी को दिया। जीत के बाद खुशी जताते हुए अमनप्रीत ने बताया, ‘‘मैंने इसपर 3 महीने तक काम किया था। इस दौरान इस गाड़ी को 150 बीएचपी पॉवर के करीब तक पहुंचा दिया था। एक जिप्सी के लिहाज से इतनी शक्ति काफी अच्छी मानी जाती है। मेरे हिसाब से मेरी कार का सबसे अच्छा और शानदार हिस्सा इसका इंजन है।’’ भारतीय राष्ट्रीय रैली चैंपियनशिप के नियमित ड्राइवर के एम बोपैय्या ने अपनी 1600 सीसी वेन्टो के साथ रेस में पूरा जोर लगाया, लेकिन उन्हें दूसरे स्थान से ही संतोष करना पड़ा। वो हर चरण में अमनप्रीत से सिर्फ 2 या 3 सेकेंड से ही पिछड़ते रहे। यहां तक कि उन्होंने अंतिम चरण में तो जीत भी हासिल की, लेकिन पिछले दिनों अमनप्रीत ने जो 28 अंकों की बढ़त बनाई थी, वो आखिरी दौर में काफी निर्णायक साबित हुई और बाकी ड्राइवर उस अंतर को पूरा नहीं कर सके।
बोपैय्या ने सारे चरणों को पूरा करने में 1 घंटे 29 सेकेंड का प्रभावशाली समय लिया। रेस के बाद उन्होंने कहा, ह्ल मैं विशेष चरणों में अपनी पूरी ताकत झोंक दी। लेकिन मुझे लगता है कि मेरी कार पहाड़ी रास्तों और मुश्किल इलाकों के हिसाब से उतनी अच्छी नहीं थी। दिल्ली के संदीप शर्मा ने प्रतियोगिता में तीसरा स्थान हासिल किया। उनकी उपलब्धि भी कम नहीं आंकी जा सकती, क्योंकि वे एक सामान्य कार से रेस कर रहे थे और दूसरे दिन ही ये दिखने लगा था कि वे संघर्ष कर रहे हैं। संदीप ने कहा, ह्लमुझे पता था कि मैं बाकी रेसरों के मुकाबले कमजोर स्थिति में हूं, लेकिन मैंने खुद को और अपनी कार को पूरी तरह से झोंक दिया था। मेरा मानना है कि ये बात उतनी मायने नहीं रखती, कि नतीजे क्या रहे। ज्यादा अहम बात होती है कि आपने कितनी कोशिश कीह्व।
स्थानीय प्रतिभाओं की ऑटोक्रॉस श्रेणी में बबित लिंगदोह का शानदार प्रदर्शन जारी रहा। उन्होंने सोमवार को दोनों स्प्रिंट मुकाबले जीते और स्थानीय विजेता बनकर उभरे। संदीप शर्मा की पत्नी मनिंदर इस चरण की इकलौती महिला ड्राइवर भी थी। उन्होंने दूसरे स्थान से शुरूआत की थी, लेकिन बाद में दो स्थान पिछडक़र चौथे स्थान पर रहीं।
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