उन्होंने कहा कि हम मौके तो बहुत बना रहे हैं, लेकिन गोल में तब्दील नहीं
कर पा रहे। साथ ही हम किस तरह और कहां से सर्किल में जा रहे हैं। डिफेंस पर
भी हम काम कर रहे हैं कि हम किस तरह गेंद को रोकें। भारत पेनल्टी कॉर्नर
को गोल में तब्दील करने में कमजोर रहा है, लेकिन रीड को लगता है कि यह
सिर्फ भारत की ही नहीं बल्कि कई टीमों की समस्या है और इसका कारण बेहतर
होता कॉर्नर डिफेंस है। रीड ने कहा कि ईमानदारी से कहूं तो मैं किसी भी टीम
के साथ रहूं, मुझसे यह सवाल पूछा जाता है। ये भी पढ़ें - सचिन तेंदुलकर के साथ तुलना पर ऐसा बोले उभरते स्टार पृथ्वी शॉ
मुझे लगता है कि इस समय विश्व
हॉकी में जो हो रहा है वो यह है कि अधिकतर टीमों का कॉर्नर डिफेंस मजबूत है
और इसलिए कॉर्नर पर गोल करना मुश्किल हो गया है। 10 साल, 5 साल पहले
कनर्वजन रेट 33 प्रतिशत हुआ करता था, लेकिन इस समय एक-दो टीमें, इनमें शायद
अर्जेंटीना को छोड़ दें तो सभी पेनल्टी कॉर्नर को तब्दील करने में संघर्ष
करती रही हैं। यह हमारे लिए चुनौती है।
अगले 12 महीनों में हमारा ध्यान इस
पर होगा लेकिन मुझे लगता है कि यह सवाल इस समय लगभग हर टीम पूछ रही होगी।
भुवनेश्वर में छह जून से होने वाले एफआईएच सीरीज फाइनल्स में भारत को अपना
पहला मैच रूस से खेलना है। रीड इस टूर्नामेंट को काफी गंभीरता से ले रहे
हैं, लेकिन वे ज्यादा दूर की नहीं सोच रहे और सिर्फ एक बार में एक ही मैच
पर ध्यान दे रहे हैं।
उन्होंने कहा कि मैं एक बार में एक मैच पर ध्यान दे
रहा हूं क्योंकि कोई भी टीम किसी भी दिन कुछ भी कर सकती है इसलिए मेरा
ध्यान सिर्फ एक बार में एक ही मैच पर है। हम इस टूर्नामेंट में हर मैच को
फाइनल मानकर खेलेंगे और अपना 100 फीसदी देने की कोशिश करेंगे। यहां हर टीम
पूरी तैयारी के साथ आ रही है। इसलिए हम किसी भी हल्के में नहीं ले सकते।
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