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हॉकी विश्व कप 1975 मेरे जीवन की सबसे अच्छी चीजों में एक : कप्तान अजीत पाल

Hockey World Cup 1975 One of the best things in my life: Captain Ajit Pal - Sports News in Hindi

नई दिल्ली| वर्ष 1975 में अजीत पाल सिंह जब 28 साल के होने वाले थे, तो उससे 16 दिन पहले ही उन्होंने हॉकी विश्व कप में भारत की कप्तानी की थी और खिताब दिलाया था। भारत ने 1975 में कुअलालम्पुर में फाइनल में पाकिस्तान को 2-1 से हराकर विश्व कप जीता था। उस खिताबी जीत की 46वीं वर्षगांठ पर, 73 वर्षीय सिंह ने सोमवार को एक बार से अपने उन दिनों को याद किया।

एमपी गणेश के नेतृत्व में भारत 1973 में विश्व कप जीतने के करीब पहुंच था, लेकिन फाइनल में उसे नीदरलैंड्स से 2-4 से हार का सामना करना पड़ा था और सिंह उस टीम के सदस्य भी थे।

सिंह ने भारत के ऐतिहासिक विश्व कप जीत की 46 वीं वर्षगांठ पर आईएएनएस से बातचीत में 15 मार्च, 1975 को याद करते हुए कहा, " यह तारीख मेरे जीवन की सबसे अच्छी चीजों में से एक है। इस दिन एक इतिहास बना। मैं उस दिन को याद करके मेरे रोंगटे खड़े हो जाते हैं।"

उन्होंने कहा, " निश्चित रूप से। विश्व कप जीतना शायद ही किसी के जीवन में आता है। मैं मैच, समारोहों को विशेष रूप से याद करता हूं, जहां हम सभी विजय के बाद गए थे।"

यह पूछे जाने पर कि क्या आपको लगता है कि भारतीय टीम खिताब जीतने में सक्षम थी? इस पर उन्होंने कहा, " पूल बी लीग मैच में जर्मनी को 3-1 से हराने के बाद हमें ऐसा लगने लगा था। हमने पहले लीग मैच में इंग्लैंड को 2-1 से हराया था और ऑस्ट्रेलिया के साथ 1-1 से ड्रॉ खेला था। इसके बादद घाना को 7-0 से हराने के बाद हम अर्जेंटीना से 1-2 से हार गए। लेकिन आखिरी ग्रुप लीग मैच में, जर्मनी के खिलाफ, हमें सेमीफाइनल के लिए क्वालीफाई करने के लिए उन्हें हराना था, क्योंकि ऑस्ट्रेलिया छह अंक पर था और हम हार गए थे और हम सेमीफाइनल लायक नहीं थे।"

पूर्व कप्तान ने पाकिस्तान के खिलाफ फाइनल मुकाबले को लेकर कहा, " यह एक शानदार मैच था। हम मैदान में खेल रहे थे, इसलिए हमें इसका एहसास नहीं था। हालांकि, स्टैंड से मैच देखने वालों ने हमें बताया कि यह एक मैच था। पाकिस्तानी टीम के पास हमेशा एक मजबूत फॉरवर्ड लाइन थी, और वह टीम भी मजबूत थी। हालांकि, हमारे डिफेंडर्स ने उनके खिलाफ के खिलाफ अच्छा खेल दिखाया।"

यह पूछे जाने पर कि भारतीय हॉकी खिलाड़ियों को अभी भी मैच फीस नहीं मिलती है, इस पर उन्होंने कहा, " मैं यह कहूंगा कि, सभी ने कहा और किया है, उन्हें अब कम से कम कुछ तो मिल रहा है। कुछ साल पहले तक उन्हें कुछ भी नहीं मिलता था। जब टीम कुछ जीतने के बाद आएगी, तो उन्हें केवल शाबाशी (उनकी पीठ पर एक थापा) मिलेगी और अधिकारी कहेंगे 'अच्छा किया, और अब अगला टूर्नामेंट भी जीतो'।"

अजीत पाल ने कहा, " मेरे समय में 1970 और 1980 के दशक में खिलाड़ी इस बात से अधिक संतुष्ट होते थे कि अगर वे अच्छा खेल दिखाएंगे तो उन्हें नौकरी मिलेगी। इसके अलावा, 1970 और 1980 के दशक में, हॉकी भारत का नंबर-1 खेल था और क्रिकेट नंबर-2 पर था। लेकिन 1980 के दशक में क्रिकेट और बढ़ता गया और हॉकी की लोकप्रियता घटती चली गई।"

--आईएएनएस

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Web Title-Hockey World Cup 1975 One of the best things in my life: Captain Ajit Pal
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