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झारखंड में आदिवासियों के बीच हॉकी क्रांति का जनक बना एक स्कूली शिक्षक

A school teacher became the father of the hockey revolution among the tribals in Jharkhand - Sports News in Hindi

रांची| झारखंड में सरकारी सहायता प्राप्त एक अल्पसंख्यक स्कूल शिक्षक ने 'जहां चाह, वहां राह' की कहावत को सच साबित कर दिया है। यहां के एक शिक्षक बेनेडिक्ट कुजूर ने तमाम चुनौतियों के बाद भी न केवल ढेरों लड़के-लड़कियों को प्रशिक्षित किया बल्कि उनके द्वारा प्रशिक्षित खिलाड़ी राष्ट्रीय हॉकी टीम में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।

झारखंड के सिमडेगा जिले के करनगुरी गांव में जहां लोगों को बुनियादी सुविधाएं भी मयस्सर नहीं हैं। वहीं अल्पसंख्यकों द्वारा संचालित प्राथमिक विद्यालय के प्राचार्य कुजूर ने अपने कामों से हॉकी क्रांति ला दी है। इसके अलावा पांचवीं तक के इस स्कूल को उन्होंने अपने प्रयासों से आठवीं तक का करवाया।

कुजूर ने आईएएनएस को बताया, "2003 में जब मुझे करनगुरी गांव में पोस्टिंग मिली तो मैंने यहां खेलों का आयोजन करने का फैसला किया। पहले तो ना छात्रों ने ना अभिभावकों ने रूचि ली। फिर मैंने उन्हें जागरुक करना शुरू किया। मैंने स्कूल में सभी स्टूडेंट्स के लिए खेल अनिवार्य कर दिए। यहां हॉकी खेलना ही एकमात्र विकल्प थे।"

उन्होंने आगे कहा, "हमने छात्रों के लिए हॉकी प्रशिक्षण शुरू किया। लेकिन इस दौरान हमें संसाधनों की भारी कमी से जूझना पड़ा। हमने बांस से बनी हॉकी स्टिक इस्तेमाल की। हॉकी की गेंद न होने पर 'शरीफा' नाम के एक फल को गेंद के रूप में इस्तेमाल किया। बाद में बांस से बनी गेंद का इस्तेमाल किया।"

इन सारी चुनौतियों के बीच सबसे बड़ी समस्या थी स्किल डेवलपमेंट की है। कुजूर ने कहा, "हमने एक्सरसाइज करने के लिए छात्रों को नदी की बालू पर दौड़ने, पहाड़ियों पर चढ़ने के लिए कहा। यह क्षेत्र पिछड़ा है, यहां उचित आहार भी उपलब्ध नहीं था।"

कुछ ही समय में यह स्कूल हॉकी की प्रतिभा के लिए एक नर्सरी बन गया। इस स्कूल में प्रशिक्षित कई खिलाड़ी जिला और राज्य स्तर पर खेल चुके हैं। वहीं राष्ट्रीय टीम के खिलाड़ियों में ज्यादातर लड़कियां हैं। स्कूल के काम को देखते हुए अब इसे कई एनजीओ से मदद मिल रही है।

राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेलने वाली लड़कियों में ब्यूटी डंडुंग, सुषमा कुमारी, अलका डंडुंग, दीपिका सोरेंग और पिंकी एक्का शामिल हैं।

कुजूर को जब 2016 में जलडेगा स्थानांतरित किया गया, तब तक यह स्कूल हॉकी पावरहाउस बन चुका था।

2019 में भारत के लिए खेलने वाली ब्यूटी डंडुंग ने अपने करियर में बेनेडिक्ट कुजूर के योगदान को सबसे अहम बताया था। डंडुंग ने आईएएनएस को बताया, "प्रिंसिपल सर ने हमारे लिए हॉकी स्टिक्स लाना अनिवार्य कर दिया था। स्कूल में हमने बांस की स्टिक से हॉकी खेली। मैंने ऑस्ट्रेलिया सहित कई देशों के खिलाफ कई मैच खेले हैं। इस दौरान सर द्वारा सिखाए गए स्किल्स ने अंतर्राष्ट्रीय हॉकी में भी हमारी मदद की है।"

सिमडेगा हॉकी एसोसिएशन के सचिव मनोज कुमार ने कहते हैं, "झारखंड के 70 प्रतिशत हॉकी खिलाड़ी उसी स्कूल से आते हैं, जिसमें बेनेडिक्ट कुजूर ने छात्रों को प्रशिक्षित करना शुरू किया था। यहां के 6 खिलाड़ी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेल चुके हैं। यह स्कूल बेहतरीन बुनियादी कौशल प्रशिक्षण देता है।"

गौरतलब है कि झारखंड का हॉकी चैंपियन देने का समृद्ध इतिहास रहा है। प्रतिष्ठित खिलाड़ी जयपाल सिंह मुंडा भी झारखंड के ही थे।

--आईएएनएस

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Web Title-A school teacher became the father of the hockey revolution among the tribals in Jharkhand
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