हालांकि, इसमें खिलाड़ी की भावना को पहचान पाना थोड़ा मुश्किल है कि उसने
यह अनजाने में किया या जानबूझ के। अदालत में धीमी गति के वीडियो का
इस्तेमाल न होने के पीछे का एक कारण यह भी हो सकता है। इस शोध के लिए
शोधकर्ताओं ने 88 उच्च स्तरीय फुटबॉल रेफरियों की येलो कार्ड के संदर्भ में
वीडियो पर प्रतिक्रिया ली। स्पिट्ज ने कहा, हमारे शोध के परिणामों से यह
सामने आया है कि धीमी गति से देखे गए वीडियो रेफरियों द्वारा लिए गए फैसले
की गंभीरता को बढ़ा सकता है। ये भी पढ़ें - आपके फेवरेट क्रिकेटर और उनकी लग्जरी कारें....
ऐसे में येलो कार्ड और रेड कार्ड के बीच के
अंतर को साफ समझा जा सकता है। उन्होंने कहा, इन अध्ययनों से यह भी पता चला
है कि धीमी गति से देखे गए वीडियो के बाद रेफरियों द्वारा अधिक गंभीर रूप
से निर्णय लेने की संभावना अधिक होती है, जो दुनियाभर में फुटबॉल लीगों में
वीएआर के कार्यान्वयन के लिए दिशा-निर्देश विकसित करने के लिए एक
महत्वपूर्ण विचार है।
लेखकों का मानना है कि फुटबॉल के खेल में गेंद के
ऑफ-साइड जाने और गेंद के संपर्क को पहचानने के लिए वीएआर बहुत ही अहम उपकरण
साबित हो सकता है, लेकिन इंसान के व्यवहार या उसके इरादे से संबंधित
फैसलों के लिए यह उपकरण बिल्कुल सही साबित नहीं हो सकता।
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