नई दिल्ली। फीफा विश्व कप के पिछले दो संस्करणों से गायब रहने के बाद रूस में आगले महीने शुरू हो रहे 21वें संस्करण में खेलने जा रही स्वीडन की टीम को अपने स्टार खिलाड़ी ज्लातान इब्राहिमोविक के बगैर ही अपनी वापसी को सार्थक बनाना होगा। साल 2010 और 2014 में हुए विश्व कप से बाहर रही स्वीडन ने इस साल बड़े संघर्ष के बाद फीफा विश्व कप के लिए क्वालीफाई किया और ऐसे में उसका लक्ष्य एक टीम के रूप में अपने पहले विश्व कप खिताब तक पहुंचना होगा। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
स्वीडन की टीम अब तक 11 विश्व कप टूर्नामेंटों में हिस्सा ले चुकी है, लेकिन एक भी बार खिताब तक नहीं पहुंच सकी। 1934 में पहली बार इस टूर्नामेंट को खेलने वाली स्वीडन ने यूईएफए के ग्रुप-ए में फ्रांस, नीदरलैंड्स और बुल्गारिया के बीच संघर्ष करते हुए क्वालीफायर की परीक्षा पास की। क्वालीफायर में उसने किसी तरह यूईएफए के ग्रुप-ए में नीदरलैंड्स के बाद दूसरा स्थान हासिल किया और प्लेऑफ में इटली के खिलाफ उलटफेर करते हुए फीफा विश्व कप-2018 में कदम रखा। पिछले दो संस्करणों से गायब रहने के बाद यह जीत स्वीडन के लिए बहुत बड़ी जीत थी।
स्वीडन की सबसे बड़ी विशेषता है उसकी एकता। अपने स्टार खिलाड़ी ज्लातान के बगैर उतरने वाली स्वीडन की टीम अधिक प्रतिस्पर्धी है। इन दिनों उसके ड्रेसिंग रूम में खिलाडिय़ों के बीच एकता साफ नजर आती है। ऐसे में इस टूर्नामेंट के लिए उसकी यह एकता सबसे बड़ी ताकत है। हर खिलाड़ी अपने आपको टीम का अहम हिस्सा मानता है और उसकी क्रम में अहम योगदान देने की क्षमता भी रखता है। टीम के महत्वपूर्ण खिलाड़ी और कप्तान आंद्रेस ग्रैक्विस्ट नेतृत्व के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। विक्टर क्लासेन भी अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन देने की कोशिश करेंगे।
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