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सुब्रता भट्टाचार्य ने भारतीय कोचों का समर्थन किया

Subrata Bhattacharya supported Indian coaches - Football News in Hindi

नई दिल्ली| पिछले एक दशक से भारतीय फुटबाल में विदेशी कोचों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी देखने को मिली है। जाहे उनका प्रदर्शन कैसा भी रहा हो, लेकिन उनकी संख्या में बढ़ोतरी हुई है। इस पक्षपाती रवैये के कारण स्वदेशी कोचों को अपने कौशल को दिखाने का पर्याप्त अवसर नहीं मिल रहा है।

देश की सबसे बड़ी फुटबाल लीग-इंडियन सुपर ्रलीग (आईएसएल) में विदेशी कोच ही अब तक मुख्य कोच रहे हैं और इसे देखते हुए विभिन्न आई-लीग टीमें भी विदेशी कोचों के पीछे भागने लगी हैं।

हालांकि बाद में कुछ भारतीय कोच भी आईएसएल टीम से जुड़े हैं, लेकिन वे सहायक कोच की भूमिका में ही रहे हैं।

अपने जमाने के मशहूर डिफेंडर और भारतीय फुटबाल टीम के पूर्व खिलाड़ी तथा क्लब स्तर के सफल कोचों में से एक सुब्रता भट्टाचार्य इससे सहमत नहीं हैं।

सुब्रता ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, " हम अब भी विदेशी कोचों के प्रभाव से बाहर नहीं आ पाए हैं और यही कारण है कि हम विदेशी कोचों के लिए कुछ करने को तैयार हैं। अन्यथा हम अमन दत्ता और पीके बनर्जी जैसे कोचों को कैसे भूल सकते हैं, जिन्होंने भारतीय फुटबाल के लिए बहुत कुछ किया है।"

उन्होंने कहा, " इसलिए हम अभी भी 'विदेशी अंगूटों' के प्रभाव में हैं। विदेशी कोचों को लाकर अधिकारी ये दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि वे बहुत ही अच्छा काम कर रहे हैं। लेकिन हमारे अमन दत्ता और पीके बनर्जी जैसे कोचों की तुलना में ये विदेशी कोच कितने सफल हैं। कौन इन अधिकारियों को बताएंगे कि ये गलत हैं। यहां तक कि बतौर कोच अपने समय में मैंने सभी विदेशी कोचों को मात दी है।"

सुब्रता ने इस बात को भी खारिज कर दिया कि शीर्ष लीगों में किसी भी टीम को प्रशिक्षित करने के लिए कोचों के पास 'ए' लाइसेंस होना चाहिए।

उन्होंने कहा, " ऐसा नहीं है कि दुनिया के सभी कोचों के पास 'ए' लाइसेंस है। मैं आपको कई नाम बता सकता हूं, जिनके पास 'ए' लाइसेंस नहीं है। 'ए' लाइसेंस आपको एक अच्छे कोच की गारंटी नहीं देता है। भारत में हमारे पास कई 'ए' लाइसेंस प्राप्त कोच हैं, उन्हें नियुक्त क्यों नहीं किया जा रहा है? ऐसा लगता है कि वे न तो इस तरफ हैं और न ही उस तरफ।"

सुब्रता पूर्व खिलाड़ियों और कोचों द्वारा एक आंदोलन के पक्ष में हैं जिन्होंने एक खिलाड़ी के रूप में या एक कोच के रूप में देश के लिए अपना सब कुछ दिया है, क्योंकि उन्हें लगता है कि भारत में आंदोलन के बिना कुछ भी नहीं होता है।

हालांकि उन्हें साथ ही यह भी लगता है कि उन सभी को एक साथ लाना बहुत मुश्किल है।

उन्होंने कहा, "क्या ये विदेशी कोच दर्शकों को स्टेडियम में वापस लाने में सक्षम हैं? फिर उनके पीछे क्यों भागते हैं।"

--आईएएनएस

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Web Title-Subrata Bhattacharya supported Indian coaches
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