नई दिल्ली। इस साल राष्ट्रमंडल खेलों और एशियाई खेलों में लगातार दो स्वर्ण पदक जीत चुके भारत के भाला फेंक एथलीट नीरज चोपड़ा ने कहा है कि जकार्ता में देश का ध्वजवाहक होने के चलते उन पर पदक जीतने का ज्यादा दबाव था। नीरज ने जकार्ता एशियाई खेलों में अपने 88.06 मीटर के सर्वश्रेष्ठ थ्रो के साथ स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाया था। एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने के बाद उन्होंने चेक गणराज्य में आईएएएफ कांटिनेंटल कप में हिस्सा लिया। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
नीरज ने स्वदेश लौटने के बाद यहां स्पोट्र्स एनर्जी ड्रिंक गेटोरेड कंपनी की ओर से आयोजित सम्मान समारोह के दौरान आईएएनएस से कहा, सभी खिलाडिय़ों का सपना होता है कि उसके देश का राष्ट्रगान विदेशों में गूंजे। मेरा भी सपना था और यह सपना तभी पूरा हुआ जब मैंने वहां अपने देश के लिए पदक जीता। इसके साथ-साथ मैं एशियाई खेलों में अपने देश का ध्वजवाहक था और इस कारण मेरे ऊपर पदक जीतने का ज्यादा दबाव था।
हरियाणा के पानीपत जिले के रहने वाले नीरज एशियाई खेलों में भाला फेंक स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय एथलीट हैं। इससे पहले गुरतेज सिंह ने 1982 के एशियाई खेलों में भारत के लिए इस स्पर्धा में कांस्य पदक जीता था। उन्होंने कहा, जब हम मैदान में उतरते हैं जो हमें ऐसा लगता है कि हम एक दूसरी दुनिया में आ गए हैं। ट्रेनिंग तो सभी खिलाड़ी करते हैं।
लेकिन हर किसी का अपना-अपना दिन होता है। इन सब बातों के अलावा देश के लिए पदक जीतने का एक जुनून भी होता है और यही जुनून आपको सफलता दिलाता है। 20 साल के युवा एथलीट एशियाई खेलों और राष्ट्रमंडल खेलों के अलावा एशियाई चैम्पियनशिप (2017), दक्षिण एशियाई खेलों (2016) और विश्व जूनियर चैम्पियनशिप (2016) में स्वर्ण पदक अपने नाम कर चुके हैं।
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