नई दिल्ली। पिछले सात बार में से छह बार फीफा विश्व कप में जगह बनाने वाली नाइजीरियाई टीम, जिसे सुपर ईग्लस के नाम से भी जाना जाता है, बाकी टीमों के लिए किसी खतरे से कम नहीं है। वर्ष 2014 में यह टीम अंतिम-16 तक पहुंची थी, लेकिन इससे आगे नहीं जा पाई थी। तीन बार यह टीम अंतिम-16 में पहुंच पाई है, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी। इस बार सुपर ईगल्स कहानी को बदलना चाहेंगे। विश्व कप के लिए क्वालीफाई करने में इस टीम को ज्यादा परेशानी नहीं हुई। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
अल्जीरिया, जाम्बिया और कैमरून के सामने इस टीम ने बेहतरीन खेल दिखाया और 14 अंकों के साथ विश्व कप में जगह बनाई। नाईजीरिया खेल के हर मामले में मजबूत मानी जाती है। फीफा रैंकिंग में 47वें पायदान पर कायम यह टीम मैदान के हर कोने में मजबूती से खड़ी होती है और अगर सभी विभागों में यह टीम एक साथ मिलकर तथा सही तालमेल से खेलती है तो अंतिम-16 से आगे जाने की कुव्वत इस टीम में है।
टीम के कोच गेर्नोट रोहर की समस्या उसका कमजोर डिफेंस है जो निरंतरता की कमी से जूझ रहा है। कोच ने टीम की जिम्मेदारी युवा कंधों पर दी है। उन्होंने कई अच्छे खिलाडिय़ों को टीम से बाहर रख युवाओं पर भरोसा जताया है। एलेक्स इवोबी, केलेची इहेनाचो और नदिदी मैरी की तिगड़ी पर काफी कुछ निर्भर करेगा। इन तीनों को अच्छी सोच और टीम को मानसिक तौर पर भी मजबूत रखना पड़ेगा।
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