लंदन। भारतीय टीम की चयन प्रक्रिया में कई तरह की खामियां हैं और अगर इन्हें सही समय रहते नहीं सुधारा गया तो नतीजा विश्व कप का हाथ से जाना भी हो सकता है। यह मानना है पूर्व ब्रॉडकास्टर और वरिष्ठ क्रिकेट लेखक आशीष रे का। आशीष ने 42 साल इंग्लैंड में क्रिकेट कवर किया है। उन्होंने 1979 से हर विश्व कप कवर किया है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
रे ने हाल ही में भारत के परिदृश्य से विश्व कप के इतिहास पर किताब लिखी है जिसका नाम क्रिकेट वल्र्ड कप : द इंडियन चैलेंज है। रे ने कहा है कि इंग्लिश समर के पहले हाफ में भारत को तीन तेज गेंदबाजों के साथ जाना था न कि दो स्पिनरों के साथ। मोहम्मद शमी के प्रदर्शन और जसप्रीत बुमराह के औसत ने इस बात को साबित कर दिया है कि भारत को शुरू से तीन तेज गेंदबाजों के साथ उतरना चाहिए था।
रे ने कहा, दो स्पिनरों के लिए विकेट पर टर्न कहां है? दो कलाई के स्पिनरों के लिए विकेट में उछाल कहां है? रे ने कहा, ऐसा लगता है कि भारत आईसीसी रैंकिंग से प्रभावित हो गया लेकिन उसने मैदान के हिसाब से खिलाड़ी चुनने की नीति नहीं अपनाई। कुलदीप यादव की हाल के मैचों में कलई खुल गई। वे अब मिस्ट्री नहीं रह गए।
इसके अलावा उन्होंने इस टूर्नामेंट में अभी तक गुगली कम ही डाली हैं। रे ने कहा, कुलदीप ने छह मैचों में पांच विकेट लिए हैं और 279 रन दिए हैं जो निराशाजनक प्रदर्शन है। अगर कोई सूखी विकेट होती तो दो स्पिनर आ सकते थे उसमें भी आपका एक स्पिनर रवींद्र जडेजा या फिंगर स्पिनर होना चाहिए था, जो आम तौर पर इंग्लैंड में गेंद को अच्छे से पकड़ सके।
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