नई दिल्ली। कोई भी खिलाड़ी लिजेंड तब बनता है, जब वह मैदान के अंदर और बाहर अपने प्रदर्शन और व्यवहार से दूसरों के लिए उदाहरण पेश करता है। श्रीलंका के तेज गेंदबाज लसिथ मलिंगा सही अर्थों में एक लिजेंड हैं क्योंकि बीते डेढ़ दशक से यह खिलाड़ी जिस भी टीम के लिए खेला है, उसके खिलाडिय़ों के लिए मैदान के अंदर और मैदान के बाहर उदाहरण बनकर सामने आया है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
इंग्लैंड के खिलाफ आईसीसी विश्व कप-2019 में अपनी टीम की शानदार जीत के हीरो रहे मलिंगा ने इससे पहले इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के फाइनल में मुंबई इंडियंस को चेन्नई सुपर किंग्स के खिलाफ शानदार खिताबी जीत दिलाई थी। मलिंगा द्वारा फेंका गया अंतिम ओवर भला कौन भूल सकता है। मुम्बई वह मैच लगभग हार चुकी थी लेकिन मलिंगा ने अपने अनुभव का इस्तेमाल करते हुए उसे न सिर्फ मैच में वापसी कराई बल्कि जीत तक पहुंचाया।
इंग्लैंड के खिलाफ 40 रन देकर चार विकेट लेने वाले मलिंगा ने एक बार फिर साबित कर दिया कि वे बड़े मैच या फिर अहम क्षण के खिलाड़ी हैं। मलिंगा ने 232 रनों के स्कोर की रक्षा कर रही श्रीलंकाई टीम के लिए अहम मुकाम पर जेम्स विंस (14), जॉनी बेयरस्टॉ (0), जोए रूट (57) और जोस बटलर (10) के विकेट लेकर यह साबित कर दिया कि आज भी उनमें अपनी टीम को जीत दिलाने की क्षमता है। मलिंगा के लिए हालांकि यह सब कर पाना इतना आसान नहीं था।
ऑस्ट्रेलिया के साथ हुए मैच के बाद मलिंगा को कुछ दिनों के लिए स्वदेश लौटना पड़ा था। कारण यह था कि उनकी सास का इंतकाल हो गया था। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उनकी टीम मैच हार गई थी और वह 61 रन देकर एक विकेट ले सके थे। मलिंगा किसी भी हाल में इंग्लैंड के खिलाफ खेलना चाहते थे क्योंकि उन्हें पता था कि यह मैच उनकी टीम के लिए काफी अहम है। सास के अंतिम संस्कार के बाद मलिंगा लौटे और टीम के साथ जुड़े। इस दौरान वे शारीरिक और मानसिक तौर पर मजबूत बने रहे।
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