गावसकर ने पूरे मामले का मखौल उड़ाते हुए लिखा कि आखिरकार कोहली क्यों अपनी
मनमाफिक टीम चुनने का हक पाते रहे हैं। गावसकर ने लिखा कि चयन समिति में
बैठे लोग कठपुतली हैं। पुनर्नियुक्ति के बाद कोहली को मीटिंग में टीम को
लेकर अपने विचार रखने के लिए बुलाया गया। ये भी पढ़ें - वीरेंद्र सहवाग ने टीम इंडिया को बताया 2019 वर्ल्ड कप का प्रबल दावेदार
प्रक्रिया को बाईपास करने से यह
संदेश गया कि केदार जाधव और दिनेश कार्तिक को खराब प्रदर्शन के कारण टीम से
बाहर किया गया जबकि विश्व कप के दौरान और उससे पहले कप्तान ने इन्हीं
खिलाडिय़ों पर भरोसा जताया था और नतीजा हुआ था कि टीम फाइनल में भी नहीं
पहुंच सकी।
बीसीसीआई के एक तबके का यह मानना था कि 2023 विश्व कप के ध्यान
में रखते हुए तीनों फॉर्मेट के लिए अलग-अलग कप्तान बनाया जाना एक अच्छा कदम
हो सकता था और इससे आने वाले समय में टीम को फायदा होता।
(IANS)
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