आपको महिला क्रिकेट के विकास के लिए उनके स्तर को और आगे ले जाना होगा और
यह तभी हो सकता है जब उन्हें मौके दिए जाएं। जितनी ज्यादा लड़कियां जमीनी
स्तर पर खेलेंगी, खेल का स्तर और बेहतर होता जाएगा। स्कूल स्तर पर हमें
ज्यादा से ज्यादा लड़कियों की टीमों को खेलने के मौके देने होंगे। हमें
इनके लिए ज्यादा से ज्यादा टूर्नामेंट आयोजित कराने होंगे। एक बार जब आप
ऐसा माहौल बना देते हैं तो खेल को आगे ले जाना आसाना हो जाता है। ये भी पढ़ें - वीरेंद्र सहवाग ने ली चुटकी, तो रॉस टेलर ने कुछ यूं दिया जवाब
झूलन ने
इस मौके पर अपने पुराने दिनों को याद किया। उन्होंने कहा कि एक पेशेवर
खिलाड़ी बनने में अंजुम चोपड़ा और पूर्णिमा ने उनकी काफी मदद की। उन्होंने
कहा, मैं जब एयर इंडिया में खेलती थी तब टीम की सीनियर खिलाड़ी अंजुम
चोपड़ा और पूर्णिमा ने मेरी काफी मदद की। उससे पहले मुझे ज्यादा कुछ पता
नहीं था। मैं आती थी और गेंदबाजी करके चली जाती थी। मुझे नहीं पता था कि
पेशेवर रवैया क्या होता है।
उन्होंने मुझे बहुत कुछ सिखाया, जो मुझे अभी तक
काम आता है। एयर इंडिया में खेलते हुए मुझे वहां से काफी कुछ सीखने को
मिला। उन लोगों के साथ ड्रेसिंग रूम साझा करना मेरे लिए अच्छा साबित हुआ।
झूलन ने साथ ही कहा कि वह जब भी परेशान होती हैं तो स्वामी विवेकानंद की
किताबों का सहारा लेती हैं।
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