नई दिल्ली। साल-2018 जब आया तब भारतीय क्रिकेट के सामने वर्षों से चली आ रही चुनौती एक बार फिर सामने खड़ी थी। वो थी टेस्ट में विदेशी दौरों पर सफलता हासिल करना। विराट कोहली की कप्तानी वाली मौजूदा टीम में वो काबिलियत नजर आ रही थी जो पुरानी विफलता को पीछे छोड़ विदेशी जमीन पर नए इतिहास रच सके, लेकिन विफलता पूरी तरह सफलता में नहीं बदल सकी। भारत का टेस्ट में विदेशी दौरों पर मिलाजुला अनुभव रहा। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
वनडे और टी20 में टीम ने हालांकि, बेहतर प्रदर्शन किया। साल का पहला दौरा था दक्षिण अफ्रीका का। भारत से उम्मीद थी कि बेहतर गेंदबाजी आक्रमण और बल्लेबाजी में गहराई वाली टीम दक्षिण अफ्रीका में कुछ कमाल दिखा कर आएगी, लेकिन तीन टेस्ट मैचों की सीरीज में भारत को 1-2 से हार मिली। इस बीच भारत के लिए एक अच्छी खबर भी आई।
कोच राहुल द्रविड़ के मागदर्शन में और युवा बल्लेबाज पृथ्वी शॉ की कप्तानी में भारत की अंडर-19 टीम ने न्यूजीलैंड में खेले गए विश्व कप के फाइनल में आस्ट्रेलिया को मात दे चौथी बार खिताब अपने नाम किया। इस विश्व कप से पृथ्वी का उदय हुआ और उनकी राष्ट्रीय टीम की दावेदारी प्रबल हुई। नतीजन अक्टूबर में वेस्टइंडीज के खिलाफ खेली गई दो टेस्ट मैचों की सीरीज में पृथ्वी ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पदार्पण किया और पहले ही मैच में 134 रनों की पारी खेली।
पृथ्वी के अलावा इस विश्व कप से शुभमन गिल, मनजोत कालरा, शिवम मावी और कमलेश नागरकोटी जैसे युवा नाम निकले। दक्षिण अफ्रीका में टेस्ट में हार के बाद भारतीय टीम ने वनडे और टी20 में वापसी करते हुए जीत हासिल की। वनडे में भारत ने मेजबान टीम को 5-1 से मात दी तो वहीं टी20 में 2-1 से जीत हासिल की। इस बीच विश्व क्रिकेट में एक बड़ा मुद्दा गहरा गया था।
मार्च में दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया के बीच केपटाउन में खेले गए तीसरे टेस्ट मैच में ऑस्ट्रेलिया के कप्तान स्टीवन स्मिथ, उप-कप्तान डेविड वार्नर और सलामी बल्लेबाज कैमरून बैनक्रॉफ्ट को गेंद से छेड़छाड़ के दोष में क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया (सीए) ने प्रतिबंधित कर दिया। स्मिथ और वार्नर पर एक-एक साल का प्रतिबंध लगा तो वहीं बैनक्रॉफ्ट पर नौ महीने का। कोच डैरेन लैहमन ने भी बाद में अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
इस विवाद के बाद विश्व क्रिकेट में ऑस्ट्रेलिया की हालत पतली हो गई। टीम को बड़े बदलाव से गुजरना पड़ रहा है और उसकी लगातार हार का सिलसिला भी नहीं रुक रहा। प्रतिबंध के कारण ही स्मिथ और वार्नर इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के 11वें संस्करण में नहीं खेल पाए। इस संस्करण से दो साल का प्रतिबंध झेलकर लौटीं दो पूर्व विजेता चेन्नई सुपर किंग्स और राजस्थान रॉयल्स वापसी कर रही थीं।
चेन्नई की वापसी के साथ ही महेंद्र सिंह धोनी की भी आईपीएल में कप्तान के तौर पर वापसी हो रही थी। धोनी ने एक बार फिर अपना लोह मनवाया और चेन्नई को तीसरी बार आईपीएल का खिताब दिलाया। आईपीएल के बाद भारत ने अफगानिस्तान के खिलाफ जून में एक मैच की टेस्ट सीरीज खेली। इस मैच से अफगानिस्तान ने टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया। भारत ने इस मैच को भी अपने नाम किया। अफगानिस्तान के साथ ही आयरलैंड ने भी इसी दौरान टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया।
भारत के सामने एक और चुनौती इंतजार कर रही थी। वो थी इंग्लैंड दौरे की। इंग्लैंड जाने से पहले भारत ने आयरलैंड में दो मैचों की टी20 सीरीज खेली जहां दोनों मैचों में उसे जीत मिली। इंग्लैंड दौरे की शुरूआत भी भारत ने टी20 सीरीज से की लेकिन यहां मेजबान टीम ने उसे 2-1 से हरा दिया। भारत ने हालांकि वनडे सीरीज पर 2-1 से कब्जा जमाया।
अब टेस्ट की चुनौती भारत के सामने थी। विश्व क्रिकेट में सभी को बहुत हद तक उम्मीद थी कि भारत यहां जीत हासिल करेगा लेकिन भारत को इंग्लैंड में टेस्ट की चुनौती में 1-4 से हार मिली। इस सीरीज से इंग्लैंड के सफल कप्तान और अपने देश के लिए खेल के सबसे लंबे प्रारुप में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले एलेस्टर कुक ने क्रिकेट को अलविदा कह दिया।
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