खलील ने अपना अंतरराष्ट्रीय पदार्पण मैच हांगकांग के खिलाफ खेला था और उस
मैच में 10 ओवरों में 48 रन देकर तीन विकेट लिए थे। इस 20 साल के युवा
गेंदबाज के आदर्श जहीर खान के पदार्पण मैच के भी यही आंकड़े थे। जहीर ने
नैरोबी में सन 2000 में केन्या के खिलाफ वनडे में पदार्पण किया था। इस
इत्तेफाक पर खलील ने कहा, यह मेरे लिए अच्छी चीज रही। ये भी पढ़ें - टेस्ट सीरीज से बाहर हुए कमिंस व हैजलवुड, ये ले सकते हैं जगह
यह मुझे याद दिलाती
है कि जहीर खान ने जो भारत के लिए किया वो मुझे करना है और उससे भी आगे
जाना है। जब इस तरह की चीजें होती हैं तो मुझे सकारात्मक ऊर्जा मिलती है कि
मैं सही रास्ते पर चल रहा हूं। खलील इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के
पिछले सीजन में सनराइजर्स हैदराबाद के लिए खेले थे। इससे पहले वे जहीर खान
की कप्तानी में दिल्ली डेयरडेविल्स के लिए खेल चुके थे।
खलील से जब पूछा
गया कि डेयरडेविल्स में जहीर के साथ सफर कैसा रहा तो उन्होंने जवाब दिया,
मैंने उनसे अलग-अलग पिचों पर गेंदबाजी करने के बारे में पूछा था कि जब
विकेट तेज गेंदबाजों के लिए मददगार न हो तो किस तरह से विकेट ले सकते हैं।
वे इसी बारे में बताते थे। साथ ही तकनीकी तौर पर भी उन्होंने मुझे काफी कुछ
बताया जिन्हें मानकर मुझे फायदा हुआ।
अपनी सफलता के लिए 20 साल के इस युवा
ने सिर्फ जहीर को ही नहीं बल्कि डेयरडेविल्स के मेंटॉर रह चुके अंडर-19 और
इंडिया-ए टीम के मौजूदा कोच राहुल द्रविड़ को भी काफी श्रेय दिया। राहुल
की कोचिंग में 2016 में अंडर-19 विश्व कप खेलने वाले खलील ने कहा, मुझे
यहां तक पहुंचाने में उनका (राहुल द्रविड़) का बहुत बड़ा हाथ है। मैं
क्रिकेट में उनकी देखरेख में ही इतना मेच्योर हुआ हूं।
मैं अंडर-19 में भी
उनके अंडर खेला। इंडिया-ए में भी खेला। वे खिलाड़ी पर ज्यादा दबाव नहीं
डालते हैं। चाहें फाइनल हो या पहला मैच हो, वे खिलाड़ी को सहज महसूस कराते
हैं। इसी कारण उनकी देखरेख में खिलाड़ी काफी मेच्योर बनते हैं। खलील को
उम्मीद है कि वे आगामी ऑस्ट्रेलिया दौरे पर कड़ी प्रतिस्पर्धा के बाद भी
भारतीय टीम में जगह बना पाने में सफल रहेंगे।
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