मुंबई। छह गेंदों पर 36 रन बनाना असंभव नहीं है, लेकिन यह करना मुश्किल भी नहीं है। दिल्ली कैपिटल्स के वेस्टइंडीज खिलाड़ी रोवमैन पॉवेल ने पहली तीन गेंदों में यह साबित कर दिया था कि वह रन बना सकते हैं क्योंकि उन्होंने लगातार तीन गेंदों में तीन छक्के जड़े थे। लेकिन टीम जीत नहीं पाई और 15 रन से हार का सामना करना पड़ा। प्रसिद्ध कृष्णा का यह पहला प्रदर्शन ऐसा था, जिसमें राजस्थान रॉयल्स को मैच जीतने में एक बड़ी भूमिका निभाई और यह मैच का टर्निग प्वाइंट बना।
लेकिन जब पॉवेल ने बाएं हाथ के तेज गेंदबाज ओबेद मैककॉय द्वारा फेंकी गई पहली तीन गेंदों पर लगातार छक्के लगाए। इस दौरान तीसरी डिलवरी को नो-बॉल करार दिया जा सकता था अगर अंपायर थर्ड अंपायर का सहारा ले लेते। इस बीच टीम को एक अतिरिक्त गेंद और एक रन मिल जाता और जीत के लिए रनों का लक्ष्य कम रहता। लेकिन अंपायर ने नो बॉल करार नहीं दिया और मैच को आगे बढ़ाया। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
पॉवेल उसके बाद एक भी गेंद को बाउंड्री के बाहर नहीं पहुंचा पाए और टीम मैच 15 रन से हार गई थी। पंत ने कोच को मैदान में भेजते हुए कहा था कि अंपायर से तीसरे अंपायर से सलाह लेने के लिए कहा जाए कि क्या यह कमर से ऊपर की डिलीवरी थी या नहीं। अंपायर नितिन मेनन अपनी बात पर अड़े रहे और थर्ड अंपायर से सलाह लेने के लिए मना कर दिया।
मैच राजस्थान रॉयल्स के पक्ष में समाप्त हुआ, लेकिन इस बार पर बहस लंबे समय तक जारी रहेगी, चाहे वह नो-बॉल हो या ना हो। क्या अंपायर थर्ड अंपायर से सलाह न लेने में सही थे, या दिल्ली कैपिटल सही थी। दिल्ली की इस हार से प्रशंसकों को एक बड़ा झटका लगा है।
हालांकि कई लोग महसूस करेंगे कि नो-बॉल विवाद ने पॉवेल के मनोबल को तोड़ दिया और एक ओवर में छह छक्कों के उनके प्रयास को विफल कर दिया।
--आईएएनएस
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