उन्होंने बताया कि लीग में टीमों की संख्या बढ़ाने से पहले फिलहाल, स्थिरता
बीसीसीआई की प्राथमिकता होनी चाहिए। अधिकारी ने कहा, यहां तक कि हम भी नई
टीमें चाहते हैं, लेकिन हमें जमीनी हकीकत को ध्यान में रखना चाहिए। कुछ
लोगों को लगता है कि वे बीसीसीआई के मालिक बन गए हैं और वे अपने हितों को
आगे बढ़ाने के लिए बीसीसीआई की संपत्तियों को बेच सकते हैं। वे उन लोगों को
कल्पनाएं बेच रहे हैं जो उन पर विश्वास करते हैं। ये भी पढ़ें - ICC वनडे रैंकिंग : टीम इंडिया को पछाडक़र शीर्ष पर आया यह देश
बीसीसीआई कौन है?
सदस्यों का संग्रह। पिछले तीन वर्षों से जो समस्याएं चल रही हैं उसे देखते
हुए हमें सबसे पहले जमीनी स्तर पर जारी काम में स्थिरता लानी होगी।
उन्होंने कहा, एक अनौपचारिक सभा जो बीसीसीआई के संविधान के तहत नहीं है
स्पष्ट रूप से निर्णय नहीं ले सकती है, लेकिन उन्हें इन सभी बिंदुओं पर
चर्चा करनी चाहिए क्योंकि हम बातचीत और विभिन्न ²ष्टिकोण को प्रोत्साहित
करते हैं।
अगर सीईओ राहुल जौहरी को इस तरह की बैठक की जानकारी थी, तो
उन्होंने पदाधिकारियों को इसकी सूचना क्यों नहीं दी? क्या पारदर्शिता केवल
शब्दों तक ही सीमित होनी चाहिए? अधिकारी ने कहा, यहां हम नंबर 4 के
बल्लेबाज की बहस को सुलझा नहीं पाए और किसी को अंतरराष्ट्रीय स्तर के 44 नए
खिलाडिय़ों की उम्मीद है। मूल बातों पर पहले ध्यान दिया जाए।
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