पत्र में लिखा है, मैंने देखा है कि मीडिया में हितों के टकराव का मामला
भी सामने आया है और चूंकि हितों के टकराव का मुद्दा बीते ढाई साल से
सार्वजनिक है, ऐसे में मैं इस बात से हैरान हूं कि इस बारे में उस इंसान को
नहीं पता जिसने यह फैसला लिया। अपने आरोपों को आगे बढ़ते हुए कार्यवाहक
सचिव ने लिखा है कि करीम और विक्रम ने एक साथ चयनकर्ताओं के तौर पर काम
किया है और इस बात को भुलाना बेहद मुश्किल है। ये भी पढ़ें - निसार अहमद को नहीं डिगा सकी पैसों की कमी, पिता चलाते हैं रिक्शा
चौधरी ने अपने पत्र में कहा
है कि भाई-भतीजावाद सामने है। उन्होंने लिखा, सबा करीम और विक्रम राठौड़ ने
चार साल राष्ट्रीय चयनकर्ता के रूप में काम किया है। मैं इस बात पर
विश्वास नहीं कर पा रहा हूं कि इस बात का पता किसी को नहीं था। इसके अलावा,
विक्रम के पास ब्रिटेन का पासपोर्ट है, ऐसे में क्या विदेशी कोच नियुक्त
करने का फैसला सर्वसम्मति से लिया गया था? चौधरी ने लिखा है कि उन्होंने
फोन और मैसेज के माध्यम से करीम से बात करने की कोशिश की लेकिन वे असफल
रहे।
इस मामले में दिलचस्प बात यह है कि बीसीसीआई का कामकाज देखने के लिए
नियुक्त की गई सीओए के अध्यक्ष राय ने कहा है कि विक्रम की नियुक्ति में
पूरी तरह से प्रक्रिया का इस्तेमाल किया गया है। चौधरी ने लिखा, क्या उस
शख्स को नियुक्त कर लिया गया है? देखिए अगर मैं बैंक चेयरमैन को नियुक्त
करूंगा तो पहले मैं जांच करूंगा और इसके बाद मैं उसकी नियुक्ति की सिफारिश
करूंगा।
इसलिए उनके विवादास्पद बयान पर गौर किया जाना चाहिए और आज यह सामने
आया कि कुछ भी गलत नहीं हुआ था। जो बात मायने रखती है वो यह है कि क्या
उन्होंने सही कहा और माना कि वे आशीष कपूर के रिश्तेदार हैं। तब आचार
संहिता अधिकारी को यह फैसला करना था कि यह हितों का टकराव है या नहीं।
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