नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) इस बात को लेकर काफी प्रयास कर रहा है कि इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के अगले सीजन में मैदानी अंपायरों को पैर (फ्रंट फुट) की नो बॉल को पकडऩे में तकनीक की मदद मिले। यह प्रयास भारत और बांग्लादेश के बीच कोलकाता में खेले गए दूसरे टेस्ट मैच में लागू किया गया था लेकिन बोर्ड इसे अब आगे भी जारी रखने के बारे में विचार कर रहा है। बोर्ड रन आउट कैमरे का इस्तेमाल नो बॉल को पकडऩे के लिए भी कर रहा है ताकि अंपायर गेंदबाज की कमी को पकड़ सकें। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
आईपीएल के बीते संस्करण में इस बात को लेकर काफी बवाल हुआ था क्योंकि कई मैचों में अंपायर गेंदबाज की पैर की नो बॉल को पकड़ नहीं पाए थे। सिर्फ आईपीएल में ही नहीं बल्कि पाकिस्तान और ऑस्ट्रेलिया के बीच ब्रिस्बेन में खेले गए पहले टेस्ट मैच में भी यह विवाद रहा था क्योंकि दूसरे दिन के दो सत्र में 21 नो बॉल पकड़ में नहीं आ सकी थीं।
बीसीसीआई के संयुक्त सचिव जयेश जॉर्ज ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि यह नए तरीकों को लागू करने की बात है और नए अधिकारी इस बात को सुनिश्चित करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे कि तकनीक का पूरा इस्तेमाल किया जा सके। उन्होंने कहा कि हां, यह काम अभी प्रगति पर है। आईपीएल हमेशा प्रयोग के लिए रहा है। हमारी कोशिश है कि आईपीएल का हर सीजन नई तकनीक को लेकर आए और खेल को आगे ले जाने में मदद करे। अहम बात यह है कि जब तकनीक इस तरह के मुद्दे सुलझाने में मदद कर सकती है तो फिर खिलाड़ी क्यों भुगते?
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