भारतीय बोर्ड की आपत्तियों को उठाते हुए जौहरी ने बीसीसीआई के मुख्य
मुद्दों को भी गिनाया। इसमें उन्होंने आईसीसी चैयरमेन का वोट खत्म करना (जो
पहले टाई ब्रेकर के रूप में उपयोग में लिया जाता था), सदस्य समिति को
स्वतंत्र तथा आईसीसी के बाहर करना और बोर्ड में संबद्ध सदस्यों की संख्या
तीन से एक करना शामिल है। बीसीसीआई ने साथ ही प्रशासकों की समिति (सीओए) के
प्रतिनिधि विक्रम लिमिए के आईसीसी के वित्तीय ढांचे में बदलाव के प्रस्ताव
को मनमानी बताने और इससे असहमत रहने के कदम का समर्थन किया है।
उन्होंने
लिखा है, आईसीसी बिना किसी जांच और तकनीकी विश्लेषण के मौजूदा वित्तीय
ढांचे में बदलाव करना चाहती है। उन्होंने लिखा, यह एक बुनियादी बात है कि
किसी भी बदलाव को लागू करने से पहले उसके बारे में सही जानकारी एकत्रित की
जाए, प्राथमिकताएं तय की जाएं और उचित सिद्धांतों के आधार पर सही पद्धति को
लागू किया जाए। मौजूदा वित्तीय ढांचे में बिना किसी उपरोक्त प्रयास के
बदलाव करना मनमानी होगी।
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