नई दिल्ली।
इंडियन
प्रीमियर लीग (आईपीएल) की शुरुआती टीमों में से एक रही डेक्कन चार्जर्स को
गलत तरीके से लीग से बर्खास्त करने के एवज में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल
बोर्ड (बीसीसीआई) को 4,800 करोड़ रुपये का हर्जाना चुकाने आदेश दिया गया
है। बम्बई हाईकोर्ट ने लंबे समय से चले आ रहे इस विवाद का फैसला शुक्रवार
को डेक्कन क्रॉनिकल्स होल्डिंग्स (डीसीएचएल) के पक्ष में सुनाया।
ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
बीसीसीआई के एक अधिकारी ने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि फैसला
पूरी तरह से आश्चर्यजनक है, लेकिन पूरा आदेश देखने के बाद ही इस पर कोई
अंतिम निर्णय लिया जाएगा। हालांकि बोर्ड इस आदेश के खिलाफ अपील कर सकती है।
उन्होंने कहा, "ईमानदारी से कहूं तो यह एक आश्चर्य के रूप में आया
है और यह देखना दिलचस्प होगा कि आगे क्या होता है। आर्ब्रिटेटर पर भरोसा
किया गया है और कोई आदेश पढ़ने के बाद ही उचित मूल्यांकन कर सकता है। लेकिन
आप यह सुनिश्चित मान सकते हैं कि बीसीसीआई इस फैसले के खिलाफ अपील करेगा।"
मामला 2012 का है, जब बीसीसीआई ने डेक्कन चार्जर्स का अनुबंध खत्म
कर दिया था और हैदराबाद की फ्रेंचाइज ने बीसीसीआई के इस फैसले को चुनौती
दी थी।
डेक्कन चार्जर्स ने बम्बई हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और
पूरे मामले की जांच के लिए अदालत ने सेवानिवृत्त न्यायाधीश सी.के. ठक्कर को
इकलौता पंचाट (आर्बिट्रेटर) नियुक्त किया। आईपीएल फ्रेंचाइज समझौते के
आधार पर आर्बिट्रेशन की प्रक्रिया शुरू हुई। डीसीएचएल ने 6046 करोड़ रुपये
के हर्जाना और ब्याज का दावा किया था।
सुनवाई के दौरान बीसीसीआई ने स्पष्ट रूप से इसे समाप्त करने के निर्णय के पीछे पूरा तर्क दिया था और अपना दावा किया था। (आईएएनएस)
जेपी डुमिनी ने निजी कारणों से दक्षिण अफ्रीका के सफ़ेद-बॉल बैटिंग कोच के पद से इस्तीफा दिया
अंडर-19 एशिया कप: वैभव सूर्यवंशी की 67 रनों की तूफानी पारी से भारत फाइनल में
नेवी और आर्मी 16 कैवेलरी महाराजा रणजीत सिंह पोलो ट्रॉफी के फाइनल में
Daily Horoscope