सिंधु ने कहा, काफी अच्छा महसूस होता है। वैसे यह सिर्फ एक शुरुआत है और
मुझे अभी काफी लम्बा सफर तय करना है और देश के लिए कई और सम्मान हासिल करने
हैं। विश्व चैम्पियनशिप के रोमांचक फाइनल के निर्णायक गेम में एक समय
सिंधु और ओकुहारा 20-20 की बराबरी पर थीं। उससे पहले दोनों ने एक-एक गेम
जीता था। इस गेम के बारे में पूछे जाने पर सिंधु ने कहा, मैं उस समय सिर्फ
एक अंक हासिल करने और बढ़त बनाने के बारे में सोच रही थी। ये भी पढ़ें - ये 9 स्टार फुटबॉलर हैं इन लक्जरी कारों के दीवाने
मैं दबाव से दूर
रहते हुए अपने खेल पर ध्यान लगाना चाहती थी। विश्व चैम्पियनशिप के इस
रोमांचकारी मैच से पहले सिंधु और ओकुहारा के बीच छह मैच हुए थे और दोनों ने
तीन-तीन मैच जीते थे। अपनी जापानी प्रतिद्वंद्वी के बारे में सिंधु ने
कहा, ओकुहारा को हराना कभी भी आसान नहीं रहा है। वह फाइनल था और मुझे पूरा
यकीन था कि यह भी एक कठिन मुकाबला होगा और काफी कठिन रैलियां चलेंगी। मैंने
ओकुहारा को कभी भी हल्के में नहीं लिया। मैंने यही सोचकर तैयारी की थी कि
यह मैच काफी लम्बा खिंचेगा लेकिन दुर्भाग्य से वह मेरा दिन नहीं था।
सिंधु
ने अपना सेमीफाइनल मैच शनिवार देर रात 2.30 बजे पूरा किया और फिर 17 घंटे
के भीतर वह एक बार फिर कोर्ट पर थीं। फाइलन मैच 110 मिनट चला, जो महिला एकल
मुकाबलों के इतिहास का दूसरा सबसे लम्बा मुकाबला साबित हुआ। फाइनल की
तैयारियों के बारे में पूछे जाने पर सिंधु ने अच्छी नींद और अच्छी भोजन की
उपलब्धता पर जोर दिया। सिंधु ने कहा, हां, मुझे सेमीफाइनल और फाइनल के बीच
अधिक समय नहीं मिला। इसलिए मैंने फाइनल के लिए खुद को तैयार करने के लिए
आराम करना बेहतर समझा।
मैं अगले दिन का कोई कार्यक्रम नहीं बना सकती थी,
लिहाजा मैंने आराम किया। राष्ट्रीय कोच पुलेला गोपीचंद के अलावा सिंधु ने
अपनी इस सफलता के लिए इंडोनेशियाई कोच मुल्यो हांडोयो को श्रेय दिया।
उन्होंने कहा कि हांडोयो के कारण उनका फिटनेस स्तर ऊंचा हुआ है और 73 शॉट
रैली के दौरान इसका सबूत भी दिखा था। सिंधु ने कहा, हर कोई उस खास रैली के
हारे में पूछ रहा था लेकिन मुझे तो लगा कि हर रैली उतनी ही लम्बी थी और
दोनों ओर से कई शॉट्स लिए गए।
हम दोनों सही मायने में थकी हुई थीं लेकिन
इसके बावजूद यह एक रोमांचक मैच साबित हुआ। सिंधु ने अंत में मजाक के लहजे
में कहा कि विश्व चैम्पियनशिप में रजत हासिल करने के लिए उन्हें अपने
पसंदीदा आइसक्रीम और बिरयानी का त्याग करना पड़ा था। ऐसा ही कुछ सिंधु ने
ओलम्पिक के बाद भी कहा था। सिंधु ने कहा कि गोपीचंद ने तीन महीनों तक
उन्हें फोन उपयोग नहीं करने दिया था और साथ ही साथ आइसक्रीम तथा बिरयानी से
दूर रखा था।
(IANS)
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