इस पहाड़ से प्रकट हुई थी ज्वाला मां की स्वयंभू प्रतिमा

www.khaskhabar.com | Published : मंगलवार, 03 अक्टूबर 2017, 2:20 PM (IST)

जोधपुर। हिमाचल के कांगड़ा जिले में देवी मां ज्वाला के रूप में साक्षात विराजमान हैं। हर साल लाखों श्रद्धालु मां के दर्शन करने के लिए वहां जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हिमाचल के बाद राजस्थान में ही ज्वाला माता के दो और मंदिर हैं। इन स्थानों पर आस्था का सैलाब उमड़ता है। ये मंदिर जयपुर के जोबनेर और जोधपुर शहर में स्थित हैं। मान्यता है कि जोधपुर की इस पहाड़ी से मां ज्वाला महिषासुर मर्दिनी के रूप में प्रकट हुई थी और आज भी मां भक्तों पर मेहरबान है।

जोधपुर की स्थापना से पहले बना मंदिर

[# अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे

मंदिर के पुजारी गोपाल शांडिल्य के अनुसार यह मंदिर जोधपुर की स्थापना के पहले से स्थापित है। शांडिल्य कहते है कि चिडिय़ानाथ की पहाड़ी पर स्थित मंदिर में 450 सालों से एक ही पीढ़ी माता की सेवा कर रही है।

मंदिर में है मां की स्वयंभू मूर्ति

शांडिल्य के अनुसार निज मंदिर में देवी महिषासुर मर्दिनी का एक पांव पहाड़ के अंदर ही है और और दूसरा पांव बाहर। माता के हाथों में त्रिशूल, महिषासुर, तलवार और ढाल है। विशेष बात ये है कि माता का निज मंदिर पहाड़ी गुफा में स्थित है। शांडिल्य की मानें तो मां के आशीर्वाद से ही जोधपुर शहर सुरक्षित है और पहाड़ी स्थल पवित्र होने की वजह से यहां दुर्ग की स्थापना भी हुई।

संत चिडिय़ानाथ ने की थी तपस्या

यहां संत चिडिय़ानाथ महाराज तपस्या करते थे। यही कारण है कि यहां की धरती ताकतवर मानी गई है। शहर के अंदरूनी क्षेत्र से मां के मंदिर की ओर सीढियाँ चढ़ती है और दूसरा रास्ता शहर के अंदर की तरफ से भी आता है। नवरात्र में यहां माता की विशेष पूजा-पाठ करने बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।