अभागन मां नाम तो दे गई खुशी, लेकिन छोड़ गई दुखी

www.khaskhabar.com | Published : मंगलवार, 27 सितम्बर 2016, 09:03 AM (IST)

भीलवाड़ा। छोटे हों या बड़े सबको मातृ छाया की जरूरत होती है। मां का आंचल बच्चों को लोरी, थपकी, प्यार, स्नेह, अपनेपन का अहसास सब कुछ देता है लेकिन, क्षेत्र के धामनियां गांव में एक 4 वर्षीय मासूम खुशी कंजर अपनी मां के आंचल और पिता के प्यार को दो वर्ष पहले ही खो चुकी है। बुजुर्ग नाना गोपाल व नानी सरीना अपनी नवासी खुशी का मां-बाप की तरह प्यार से लालन पालन कर रहे हैं। करीब दो वर्ष पूर्व खुशी के पिता की एक सडक़ हादसे में मृत्यु हो गई। मां ने बड़े प्यार से अपनी बच्ची को नाम दिया खुशी, वह भी खुशी को दो साल का छोड़ कर पता नहीं कहां चली गई।

नाना नानी से ही है आस

अपने मां व बाप को खोने के बाद खुशी को सिर्फ अपने नाना-नानी से ही आस है। ये दोनों भी उम्र की अन्तिम दहलीज पर हैं। नानी कहती है कि खुशी का हमारे जाने के बाद क्या होगा। परिवार में भी आगे पीछे और कोई नहीं है। घर भी कच्चा बना हुआ है, खाने के लिए भी आस-पास से जुगाड़ करना पड़ता है। सरकार की तरफ से भी चयनित का लाभ इस परिवार को नहीं मिल रहा है। वृद्धावस्था पेंशन भी नहीं मिल रही है। वहीं माण्डलगढ़ उपखण्ड अधिकार का कहना है कि खुशी को राज्य सरकार द्वारा मिलने वाली आर्थिक सहायता एवं अनाथ पालनहार व बुजुर्ग दंपति के लिए पेंशन के दस्तावेज तैयार कराकर शीघ्र समस्याओं का समाधान कर दिया जाएगा।