बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो रहा हैं बाल श्रम से

www.khaskhabar.com | Published : शनिवार, 24 सितम्बर 2016, 6:21 PM (IST)

टोंक। राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देशानुसार एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, टोंक तत्वाधान में शनिवार को स्वास्थ्य कल्याण महिला पॉलिटेक्निक कॉलेज, वजीपुरा टोंक में विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया।
विधिक साक्षरता शिविर में पैनल लॉयर राजेश सिसोदिया ने कहा कि भारतवर्ष में प्रारंभ से ही बच्चों को ईश्वर का रूप माना जाता है। ईश्वर के बाल रूप यथा बाल गणेश, बाल गोपाल, बाल कृष्णा, बाल हनुमान आदि इसे प्रत्यक्ष उदाहरण है। भारत की धरती धुव्र, प्रहलाद, लव-कुश एवं अभिमन्यु जैसे बाल चरित्रों से पटी हुई है। बच्चों का वर्तमान दृश्य इससे भिन्न हैं बच्चों का भविष्य अंधकारमय होता जा रहा है। गरीब बच्चें सबसे अधिक शोषण का शिकार हो रहे हैं गरीब बच्चियों का जीवन भी अत्यधिक शोषित है। अत: हमें बाल-श्रम का विरोध करना चाहिये एवं बाल श्रम नहीं करवाना चाहिये।
पैनल लॉयर केदारमल गुर्जर ने बताया कि बाल विवाह को बताया कि बाल विवाह समाज की ज्वलंत समस्या है। शेख मोहम्मद अब्दुल्ला ने बताया कि कानून के प्रावधानानुसार जो वृद्ध प्रेमवात्स्लय में अपने वारिसों को जो सम्पत्ति दे देते है और बाद में वही संतानें उनका भरण-पोषण नहीं करती तो ऐसे वृद्ध व्यक्ति अपने वारिसान से भरण-पोषण प्राप्त करने के साथ-साथ ही उनके द्वारा दी गई सम्पत्ति को पुन: प्राप्त करने के अधिकारी है।