रिश्वत लेते पकड़े जाने के बाद भी नहीं हुआ भाजपा पार्षद का निलम्बन!

www.khaskhabar.com | Published : शनिवार, 24 सितम्बर 2016, 11:58 AM (IST)

श्रीगंगानगर। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भ्रष्टाचार मिटाने के लिए भले ही जोर दे रहे हैं लेकिन, यहां भाजपा भ्रष्टाचारियों को शह देने में लगी है। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो द्वारा रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़े जाने के बाद भी भाजपा ऐसे रिश्तखोर पार्षद के पक्ष में खड़ी होकर उन्हें बचा रही हैं। श्रीगंगानगर में भाजपा की एक पार्षद पांच माह पहले ठेकेदार से रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ी गई थी। मगर आज तक उसके खिलाफ न तो निलम्बन की कार्रवाई की गई और न ही बोर्ड की बैठकों में आने से रोका गया। जिसके चलते दागी जनप्रतिनिधि बोर्ड की बैठक में शामिल होकर शहर के विकास के एजेंडे पास करा रही है।

यह है मामला

श्रीगंगानगर में पांच माह पहले नगर परिषद के ठेकेदार कुलदीप सिंह से 14 हजार रुपए कमीशन की राशि रिश्वत में लेते भाजपा की पार्षद लता चौधरी व उसके पति तरुण को अजमेर व जयपुर एसीबी की टीम ने पकड़ा था। जिसके बाद ये दोनों जेल में भी रहकर आए थे। स्वायत शासन कानून के मुताबिक अगर कोई जनप्रतिनिधि रिश्वत लेते पकड़े जाने के बाद जेल चला जाता है तो उसका पद से निलम्बन किया जाता है। मगर पांच माह बाद भी भाजपा की इस पार्षद पर स्वायत शासन विभाग पूरी तरह से मेहरबान है। भाजपा ने भी इस भ्रष्ट पार्षद को नगरपरिषद बोर्ड की बैठक में आने से नहीं रोका।

ऊपर तक हैं सीधे सम्बंध

सूत्र बताते हैं कि इस पार्षद की सीधी एप्रोच भाजपा के सांसद व पार्टी प्रदेशाध्यक्ष से होने के कारण नगर परिषद् से इनका निलम्बन नहीं हुआ है। वहीं जो अधिकारी रिश्वत में पकड़े गए थे, उनको स्वायत शासन विभाग ने अगले दिन ही निलम्बित कर दिया था। हैरान करने वाली बात तो यह है कि भाजपा के व अन्य साथी पार्षद सब कुछ जानते हुए भी बोर्ड बैठक में न तो विरोध करते हंै और न अपने साथी के खिलाफ बोलने को तैयार हैं। उधर, कांंग्रेस पार्षद सलीम चोपदार कहते हैं कि रिश्वतखोर पार्षद नगर परिषद बोर्ड बैठक में भाजपा के साथ नेतृत्व करके एजेंडे पास करवाने में भूमिका निभा रही हैं। ऐसे में भाजपा का चाल-चरित्र सामने आ रहा है।

विभाग को भेजेंगे प्रकरण

इस बारे में आयुक्त सुनीता चौधरी का कहना है कि स्वायत शासन विभाग में जनप्रतिनिधि के रिश्वत लेते पकड़े जाने के बाद निलम्बन के क्या नियम हैं इसकी जानकारी लेकर विभाग को पूरा प्रकरण भेजा जाएगा।