आखिर बेडिय़ों से आजाद हुआ परताराम

www.khaskhabar.com | Published : शनिवार, 24 सितम्बर 2016, 11:02 AM (IST)

बीकानेर। नोखा तहसील के ग्राम मैनसर निवासी 40 वर्षीय तथाकथित मानसिक विमंदित परताराम पुत्र चेतनराम मेघवाल को जिला कलक्टर वेदप्रकाश की पहल और सीएमएचओ डॉ. देवेन्द्र चौधरी के निर्देशन में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी डॉ. अरविन्द राजपुरोहित व स्टाफ ने जंजीर मुक्त करके नि:शुल्क इलाज के लिए पीबीएम अस्पताल के दम्माणी मनोरोग चिकित्सा केंद्र में भर्ती कराया। कई साल से मानसिक रोग से ग्रस्त परताराम पिछले कुछ समय से ढाणी में एक पेड़ से जंजीरों से बंधा हुआ था। उसका इलाज बीकानेर से ही चल रहा था और दो माह पहले भी स्वास्थ्य विभाग द्वारा उसकी जांच की गई थी।

जिला कलक्टर ने की पहल

जिला कलक्टर वेदप्रकाश ने पहल करते हुए सीएमएचओ को परताराम के जंजीरों से बंधे होने की सूचना दी। इस पर डॉ. राजपुरोहित द्वारा ढाणी जाकर उसकी जांच की गई। उसे नोखा ले जाकर बीसीएमओ डॉ. श्याम बजाज को दिखाया गया और डॉ. बजाज ने सीएमएचओ से सलाह कर उसे बीकानेर रेफर कर दिया। पशुओं से बदतर जीवन काट रहे परताराम के लिए स्वास्थ्य विभाग का दल उम्मीद की किरण लेकर आया है।

जंजीर मुक्त बीकानेर का लिया संकल्प

डॉ. चौधरी ने बताया कि अब परताराम को न केवल इंसानों जैसे आम जीवन जीने का मौका मिलेगा बल्कि नि:शुल्क इलाज भी होगा। किसी को भी जंजीरों में बांधकर रखना अमानवीयता की श्रेणी के साथ कानूनन अपराध भी है। हम यह प्रयास कर रहे हैं कि जिले के प्रत्येक मानसिक रोगी का इलाज करके उसे समाज की मुख्यधारा से जोडें़।

जागरुकता से संभव होगा इलाज

नोखा ब्लॉक सीएमओ डॉ. श्याम बजाज ने बताया कि मानसिक रोगियों का काउंसलिंग व दवाओं द्वारा पूर्ण उपचार संभव है। आमजन में मनोरोग के प्रति फैली गलत अवधारणा को दूर करने के लिए जागरुकता बहुत जरूरी है। सरकार द्वारा राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम चलाकर मानसिक रोगियों को नि:शुल्क स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हंै।