वायरल बुखार का क़हर, प्रशासन की कोशिशें नाकाम

www.khaskhabar.com | Published : शनिवार, 24 सितम्बर 2016, 10:14 AM (IST)

मेरठ: वायरल बुख़ार का ख़ौफ़ तेज़ी से बढ़ रहा है, प्रशासन की कोशिशें नाकाम होती जा रही हैं। सप्ताहभर में जिले में डेंगू और चिकनगुनिया के मामलों में दोगुना से ज्यादा इजाफ़ा हो गया। प्रशासन भले ही आंकड़ों को झुठलाने पर आमादा है, लेकिन अधिकारी भी मान रहे हैं बुख़ार बेक़ाबू होता जा रहा है। मेडिकल कॉलेज में रोज़ाना क़रीब नौ हज़ार पैरासिटामोल की खपत से चिकित्सक हैरान हैं। इधर, किडनी फ़ेल होने, लीवर में सूजन एवं फेफड़ों में पानी जमा होने जैसे नए ख़तरनाक लक्षण उभरने से हालात भयावह हैं।

मेडिकल कॉलेज की माइक्रोबायोलोजी लैब की रिपोर्ट बताती है कि चार से 12 सितंबर तक जहां 108 मरीज़ मिले, वहीं 15 से 23 के बीच चिकनगुनिया के मरीज़ो की संख्या में 246 का इज़ाफ़ा हुआ। अब तक सामान्य सा लगने वाला बुख़ार हैमरेजिक भी बनने लगा। चिकनगुनिया के आधा दर्जन मरीज़ मल्टी आर्गन फ़ेल्योर की वजह से जान गंवा बैठे। डेंगू में इस बार भले ही मरीज़ों की प्लेटलेट ज्यादा नहीं गिरी, लेकिन तमाम मरीज़ों के दिमाग़ में आंतरिक ब्लीडिंग हो गई। मेडिकल कॉलेज में अब तक क़रीब 18 सौ मरीज़ों की चिकनगुनिया और ढाई हज़ार मरीज़ों की डेंगू जांच की जा चुकी है। एक दिन में चिकनगुनिया के कुल 49 केस पॉज़िटिव पाए जा चुके हैं ।

मेडिकल कॉलेज में रोज़ाना क़रीब ढाई से तीन हज़ार मरीज़ों की ओपीडी रही, जिसमें 50 फ़ीसदी मरीज़ बुख़ार के मिले। दवा स्टोर के आंकड़ों के मुताबिक पैरासिटामोल की क़रीब 65 हज़ार टेबलेट हर सप्ताह ख़त्म हो रही है। जबकि सामान्य दिनों में यह आंकड़ा 20-25 हज़ार तक दर्ज किया गया है।

हर सप्ताह 35 हजार ओआरएस घोल की खपत हो रही है, जबकि गर्मियों में डिहाइड्रेशन एवं कालरा के दौरान भी ओआरएस घोल की इतनी खपत नहीं होती। मेडिकल में भर्ती मरीज़ों की संख्या बढ़ी है। जून में 2066, जुलाई में 2000, अगस्त में 2225, जबकि सितंबर में 23 तारीख़ तक ही आंकड़ा 22 सौ पार कर चुका है। माना जा रहा है कि यह आंकड़ा तीन हज़ार तक पहुंच सकता है।

वायरल बुख़ार तेज़ होने की वजह से गुर्दे, फेफड़े एवं लीवर तक में सूजन बढ़ रहा है। डॉक्टरों ने माना है कि यह वायरस नए स्ट्रेन का हो सकता है, क्योंकि यह सिर्फ़ मच्छर से ही नहीं फैल रहा। मेडिकल के डायलसिस विभाग में तमाम ऐसे मरीज़ पहुंचे, जिनकी किडनी फ़ेल हो गई थी। रेडियोलोजिस्टों की रिपोर्ट बता रही है कि कई मरीज़ो के फेफ़ड़ों में पानी मिला। लीवर में सूजन की वजह से मरीज़ों में पीलिया के लक्षण उभर रहे हैं।