पेइचिंग। उड़ी में भारतीय सेना मुख्यालय पर हुए आतंकी हमले पर चीन ने ‘हैरानी’ जताते हुए चिंता जाहिर की है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता कू कैंग ने सोमवार को कहा, ’हम कश्मीर के हालात को लेकर बढ़ते तनाव को लेकर चिंतित हैं।’ मगर पाकिस्तान और इसके आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) का सीधा जिक्र करने से बचते हुए चीन ने उरी में हुए आतंकी हमले के बाद कश्मीर में तनाव गहराने को लेकर चिंता जाहिर की तथा भारत और पाकिस्तान से अपने मदभेद बातचीत के जरिए सुलझाने का आह्वान किया।
संवाददाताओं ने जब चीनी विदेश मंत्रालय में प्रवक्ता कू कैंग से उरी में सेना के एक शिविर पर रविवार को हुए आतंकी हमले और भारत द्वारा इसके लिए पाकिस्तान तथा इसके आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद को जिम्मेदार ठहराए जाने पर प्रतिक्रिया मांगी तो उन्होंने कहा, ‘हम प्रभावित परिवारों और घायलों केप्रति सहानुभूति एवं संवेदना व्यक्त करते हैं।’ पाकिस्तान तथा जैस ए मोहम्मद का सीधा जिक्र किए बिना उन्होंने कहा, ‘हमने सामयिक खबरें देखी हैं। इस हमले से हम हतप्रभ हैं।’ यहां जैश ए मोहम्मद का जिक्र करना इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि चीन ने इसके आतंकी नेता मसूद अजहर के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र से प्रतिबंध लगवाने के भारत के प्रयासों में तकनीकी अड़ंगा लगा दिया था। भारत पठानकोट हमले में अजहर की संलिप्तता के चलते संयुक्त राष्ट्रह से उसके खिलाफ प्रतिबंध लगवाना चाहता था।
कू कैंग ने कहा, ‘चीन हर तरह के आतंकवाद का विरोध करता है और उसकी कड़े
शब्दों में निंदा करता है। हम कश्मीर में बढ़ते तनाव को लेकर चिंतित हैं।
हम उम्मीद करते हैं कि संबंधित पक्ष अपने मतभेद दूर करने के लिए बातचीत और
विचार विमर्श करेंगे तथा आतंकवाद से निपटने के लिए सहोयग बढ़ाएंगे। केवल इस
तरीके से ही वे अफने क्षेत्र में शांति और सुरक्षा स्थापित कर सकते हैं।’
दूसरी
तरफ, एक असामान्य प्रतिक्रिया में चीनी सरकार के एक्सपर्ट हू शिशेंग ने ‘द
टाइम्स ऑफ इंडिया’ से कहा कि वे उड़ी अटैक को इस नजरिए से देखते हैं कि
पाकिस्तान आतंकी समूहों को काबू करने में अपनी क्षमता खो रहा है। उन्होंने
उम्मीद जताई कि चीन इस मामले को पाकिस्तान के सामने उठाएगा। हालांकि,
एक्सपर्ट ने यह भी कहा कि चीन सरकार को भरोसा नहीं कि पाकिस्तानी सेना इस
हमले के लिए जिम्मेदार है।
चीन की सरकारी संस्था साउथ एशियन एंड साउथ
ईस्ट एशियन स्टडीज के डायरेक्टर हू ने कहा, ‘चीन भले ही सार्वजनिक तौर पर न
सही, लेकिन निजी तौर पर इस मुद्दे पर पाकिस्तान से चर्चा करेगा। यह बेहद
चिंताजनक बात है।’ हू के मुताबिक, चीनी पीएम इस साल पाकिस्तान जाने वाले
हैं और चीन क्षेत्र में बढ़ते टकराव को लेकर चिंतित है क्योंकि इससे 46
बिलियन डॉलर लागत वाले चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर पर असर पड़ेगा।
हू
ने कहा कि पाकिस्तान आतंकियों को काबू करने में नाकाम रहा है और यह भारत
और चीन, दोनों के लिए ही चिंता की बात है। उन्होंने कहा, ‘पाकिस्तान में न
जाने कितने आतंकी समूह हैं। यहां तक कि चीन को भी कई बार शिन्जियांग सीमा
पर आतंकियों पर लगाम कसने के मुद्दे पर पाकिस्तान से मनमुताबिक सहयोग नहीं
मिलता।’ भारत की ओर से किसी किस्म की जवाबी प्रतिक्रिया की संभावना पर चीन
के रुख के बारे में पूछे जाने पर हू ने कहा कि वे चाहते हैं कि दोनों देश
शांति से समस्या का हल निकालें। उनके मुताबिक, ये आतंकी हैं जो चाहते हैं
कि दोनों देशों के बीच टकराव बढ़े।