परिवार में सारे अंधे,एक शख्स लाता है रोटी

www.khaskhabar.com | Published : शुक्रवार, 16 सितम्बर 2016, 11:57 PM (IST)

जोधपुर। थोड़ी सी कच्ची छत, बाकी खुला आसमान और एक परिवार। परिवार में 6 सदस्य, लेकिन एक उम्रदराज शख्स को छोड़कर सभी की जिन्दगियों में सिर्फ और सिर्फ अंधेरा ही नसीब है। कुदरत ने ऐसा क्रूर मजाक किया। जिस पर किसी इंसान का बस नहीं चलता। अब प्रकृति ने तो मजाक कर दिया। लेकिन उससे भी बड़ा मजाक दुनिया वालों ने इनके साथ कर रखा है। जोधपुर के बाप ब्लॉक में इस परिवार में पांच सदस्य दृष्टिबाधित हैं और इनके पालन-पोषण की जिम्मेदारी परिवार के मुखिया 80 साल के बुजुर्ग पर है। इस घर में ना बिजली का कनेक्शन है और ना ही गैस का। पीने के पानी की व्यवस्था के लिए भी प्रतिदिन लम्बी दूरी तय करनी पड़ती है।


बाप ब्लॉक के बावड़ी बरसिंगा गांव के चांदजी का बास निवासी चुनसिंह भाटी का परिवार आज दुनिया में दर्द के समंदर में जीने वाला परिवार है। भाटी के परिवार में पत्नी सहित पांच सदस्य दृष्टिबाधित हैं। भाटी की आयु 80 वर्ष है। चुनसिंह की बीवी गैर कंवर बताती है कि वह जन्म से दृष्टिबाधित नहीं थी। 2 वर्ष की आयु में आंखों की रोशनी चली गई। शादी के बाद 6 पुत्र-पुत्री हुए। उनमें से चार बच्चों की आंखों की रोशनी जन्म के दो वर्ष बाद चली गई। चुनसिंह के परिवार में पत्नी गैरकंवर, इकलौता बेटा रूपसिंह, बेटी शायर कंवर, सुगन कंवर और धापू कंवर दृष्टिबाधित है। अन्य दो बेटियों की शादी हो चुकी हैं, उनकी आंखें ठीक हैं। इसके अलावा शायर कंवर का पुत्र चतुरसिंह भी दृष्टिबाधित है।

आजाद हिन्दुस्तान की एक सच्चाई ये भी है कि भाटी का परिवार राजपूत यानि सवर्ण जाति से ताल्लुक रखता है। ऐसे में इस परिवार को सरकारी सुविधाओं का अभाव है। क्योंकि सवर्णों के लिए ऐसा कोई प्रावधान नहीं। बस, जिंदगी की इस जद्दोजहद का ये वो कड़वा सच है। जो हर किसी के गले नहीं उतरेगा। लेकिन एक परिवार के लिए कुदरत और कानून के दोहरे दर्द ने जिंदगी को नासूर बना दिया ह