यहां एक मुस्लिम ने दी थी गायों की रक्षा में जान

www.khaskhabar.com | Published : मंगलवार, 13 सितम्बर 2016, 1:37 PM (IST)

जालोर। बरसों पहले एक मुस्लिम ने गायों और गुर्जरों को बचाने के लिए प्राण दे दिए थे। उनकी मजार अब क्षेत्र में साम्प्रदायिक सौहाद्र्र का प्रतीक है। यही कारण है कि उर्स में पहली चादर हिंदू की ओर से चढ़ाई जाती है। यह मजार है हजरत शहीद मल्कसा पीर दातार रहमतुल्लाह अलैह (मल्कसा पीर) की। मजार वाला इलाका पुराने गांव के नाम प्रसिद्ध है। रेत के टीले पर बनी मजार पर मुस्लिम समुदाय से अधिक हिन्दू समुदाय के अकीदतमंद आते हैं।

गुर्जर रहें या फिर उजाड़

[# अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे

करीब 250 बीघा जमीन पर पहले गुर्जर रहा करते थे। सालों पहले गुर्जरों की गायों पर हमला होने पर गुर्जर यहां से विस्थापित हो गए थे। गुर्जरों को बसाने की कोशिश करने के बाद में नहीं मानने पर आज भी यह जगह उजाड़ पड़ी है। ऐसा वरदान प्रचलित है कि यहां गुर्जर रहेंगे या उजाड़ ही रहेगी। आज तक किसी ने एक इंच जमीन पर भी कब्जा नहीं किया है।

उर्स में आते हैं हिंदू

मजार पर जिलकाद माह की ग्याहरवीं तारीख की शाम को उर्स मनाया जाता है। इसमें हिन्दू के हाथ से ही पहली चादर चढ़ाई जाती रही है। पुरानी जागीर से गांव के दरबार की परम्परा के अनुसार ही आज भी राव मोहनसिंह की देखरेख में कार्यक्रम का आयोजन होता है। वही पहली चादर चढ़ाते हैं।