जयपुर। वैदिक विद्वान आचार्य उषर्बुध ने कहा है कि मनुष्य को अपने जीवन का उद्धेश्य अर्जित करने के लिए आत्मा-मन-बुद्धि और इन्द्रियों की शुद्धता आवश्यक है। यजुर्वेद के अनुसार बुद्धि-मन और चित्त को एक दूसरे के अनुकूल बनाकर धर्म का आचरण करते हुए श्रेष्ठ कर्म करना हमारा दायित्व है।
आचार्य उषर्बुध शनिवार को आर्य समाज कृष्णपोल बाजार में पण्डित नृसिंह प्रसाद पारीक स्मृति यजुर्वेद एवं अथर्थवेद परायण यज्ञ के शुभारंभ के अवसर पर यज्ञ के ब्रह्मा के रूप में बोल रहे थे। यज्ञ के पहले दिन सुबह 7 बजे से प्रारंभ हुए यज्ञ में यजुर्वेद के 15 अध्यायों के मंत्रों की आहूतियों दी गयी। 17 सितम्बर तक प्रतिदिन प्रात: 7 बजे से 11 बजे तक यह यज्ञ होगा। आर्य समाज कृष्णपोल के प्रधन ओ.पी.वर्मा, महिला आर्यसमाज प्रधान कमलेश कुच्छल, मंत्री व्रका मिततल, आर्यसमाज आदर्शनगर के बलदेव आर्य, आर्य समाज मानसरोवर के अर्जुन राज कालरा, आर्यसमाज मालवीय नगर एवं वैशाली नगर के यज्ञ प्रेमियों ने भी यज्ञ में आहूतियां दी।