बीकानेर। त्याग और आराधना का त्योहार पर्यूषण पर्व जैन समाज के लोगों को तपस्या के लिए प्रेरित कर रहा है। यहां दस साल की दो बच्चियों ने बेहद कठिन माना जाने वाला ‘अठाई तप’ कर कीर्तिमान रचा है। दोनों बच्चियों की भक्ति भावना देख लोग वाह-वाह कर उठे। गंगाशहर निवासी दोनों बच्चियां चचेरी बहन हैं।
चांदनी और जागृति की भक्ति
पर्यूषण एवं सम्वत्सरी महापर्व पर चांदनी पुत्री मनीष-मोना व जागृति
पुत्री पवन-ममता छाजेड़ ने अठाई का तप करके कीर्तिमान रचा है। साध्वी
प्रमुखा कनकप्रभा ने अपने संदेश में लिखा कि जिस तरह चातुर्मास काल में
वर्षा की झड़ी लग जाती है उसी तरह जैन धर्म में तपस्या की झड़ी लगती है।
युवा और वृद्धों के साथ बच्चों में भी अनूठा उत्साह देखा जा सकता है।
उन्होंने अपने संदेश में लिखा कि गंगाशहर के श्रावक जैन लूणकरण छाजेड़ की
दो पौत्रियां चांदनी और जागृति ने दस वर्ष की अवस्था में अठाई तप किया है,
यह परिवार के धार्मिक वातावरण का परिणाम है। साध्वी ने दोनों कन्याओं के
प्रति शुभकामना प्रेषित की है।चांदनी एवं जागृति को परिजनों ने भीनासर
तेरापंथ भवन में बहुश्रुत मुनिश्री राजकरण जी, शासनश्री मुनिश्री पानमल जी
तथा तेरापंथ भवन गंगाशहर में बहुश्रुत साध्वीश्री कनकश्री, सेवाकेन्द्र
व्यवस्थापिका साध्वीश्री लज्जावती जी, साध्वीश्री प्रबलयशा व बोथरा भवन
मुनिश्री शान्ति कुमार जी के दर्शन कराए।
क्या है अठाई तप
अठाई तप जैन समाज के तपों में से एक है। इस तप में आठ दिन तक भूखा रह कर आराधना की जाती है। इस दौरान सिर्फ सूर्यास्त से पहले तक ही पानी पी सकते हैं। बच्चों के लिहाज से यह तप बेहद कठिन माना जाता है।