दशलक्षण पर्व प्रारंभ , प्रवचनों में बताया महत्व

www.khaskhabar.com | Published : मंगलवार, 06 सितम्बर 2016, 9:21 PM (IST)

जयपुर। शहर के मोती डूंगरी गणेशजी मंदिर से गणेशजी की शोभायात्रा के स्वागत के लिए छोटी काशी के वासीयों ने पलक पावड़े बिछा दिए। परकोटे में जगह-जगह शोभायात्रा के लिए डीजे और स्टेज लगाएं गए। शहर के कोने-कोने से गणेश भक्तों का रैला गणपति शोभायात्रा देखने उमड़ा। मंदिरों की सजावट, झांकियों ने भक्तों को आनंदित कर दिया। मुख्य मंदिरों सहित अन्य संस्थाओं की झांकिया शोभायात्रा में शामिल हुई। प्रसिद्ध गायकों ने गणपति के प्रिय भजनों पर एक से बढक़र एक प्रस्तुति से वातावरण को भक्तिमय बना दिया।

मुख्यमंत्री ने उतारी आरती

गणेश शोभायात्रा में शाम को मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने प्रथम पूज्य गणेश जी की आरती उतारकर यात्रा को रवाना किया। । मोतीडंूगरी गणेश जी के स्वर्ण मंडित चित्र को रथ पर विराजमान करने से पूर्व चित्र की आरती महंत कैलाश शर्मा की। इसके बाद अनेक राजनेताओं और गणमान्य लोगों ने शोभायात्रा मार्ग की विभिन्न स्थानों पर गणेश जी के मुख्य रथ की आरती उतारी।



जयपुर। दिगम्बर जैन धर्मावलम्बियों के मंगलवार से शुरू हुए दशलक्षण पर्व समारोह के तहत वीतराग धर्म का पहला लक्षण उत्तम क्षमा लक्षण भक्तिभाव से मनाया गया। मंदिरों में सुबह अभिषेक, शांतिधारा के बाद दशलक्षण धर्म की विधान मण्डल पर अष्टद्रव्य से पूजा की गई। शाम को महाआरती के बाद वीतराग धर्म के उत्तम क्षमा लक्षण पर प्रवचन हुए । क्षमा ग्रहण करने से इस भव के साथ-साथ अगले जन्म में भी सुख मिलता है। गाली सुनकर भी जिसके ह्दृय में खेद उत्पन्न न हो वह उत्तम क्षमावान है। क्रोध का अभाव क्षमा है। इसलिए कहा गया है कि क्षमा वीरस्य भूषणम अर्थात् क्षमा वीरगतियों का आभूषण है। मनुष्य को अपने जीवन में कभी भी क्रोध नहीं करना चाहिए। मंदिरों में शिक्षाप्रद धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम संपन्न हुए।
राजस्थान जैन युवा महासभा के प्रदेश महामंत्री विनोद जैन कोटखावदा के अनुसार बुधवार धर्म का उत्तम मार्दव लक्षण मनाया जावेगा तथा सातवे तीर्थंकर भगवान सुपाŸवनाथ का गर्भ दिवस मनाया जावेगा । मंदिरों में मार्दव धर्म पर प्रात: अभिषेक,शान्तिधारा,पूजा-विधान एवं सांयकाल प्रवचन, सांस्कृतिक कार्यक्रगम होंगे। दशलक्षण महापर्व 15 सितम्बर तक चलेगे। इसके बीच प्रतिदिन जैन धर्म के एक लक्षण को भक्तिभाव से मनाया जाएगा।

पर्वाधिराज दषलक्षण महापर्व किषनपोल बाजार स्थित दिगम्बर जैन मंदिर चंपाराम में मंगलवार से आर्यिका शंशाकमति माता के सानिध्य में धूमधाम से शुरु हुआ। सुबह श्रीजी का अभिषेक किया गया। धर्म पर प्रवचन करने हुए कहा कि क्षमा,समता,सामथ्र्य का सूचक है। धरती सारे संसार के भार को सहन करती र्है। लेकिन कभी प्रतिकार नहीं करती है।जीवन में कागध आने पर सदैव क्षमा भाव धारण करें।क्योंकि जीवन में जो क्षमा भाव धारण करता है,वह सदैव सुखी रहता है।

वैशाली नगर स्थित दिगम्बर जैन मंदिर नेमिनाथ जी में दशलक्षण पर्व शुरू हुआ। सुबह के बीच श्रीजी का अभिषेक किया गया। इसके बाद धन्य -धन्य आज घडी कैसी सुखकार है...रोम -रोम से निकले प्रभुवर ....जैसे भजनों के बीच दषलक्षण धर्म की पूजा की गई जिसमें काफी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया। साम को आरती व अन्य कार्यक्रम हुए। यह जानकारी मंदिर के प्रदीप गंगवाल ने दी।

आरती उतारकर, पुष्प वर्षा और प्रसादी वितरित कर स्वागत
गणपति महोत्सव समिति की ओर से आयोजित शोभायात्रा चौड़ा रास्ता में पहली बार शोभायात्रा के आने से यहां के लोगों में उत्साह का माहौल दिखा। लोगों ने शोभायात्रा का मार्ग में आरती उतारकर, पुष्प वर्षा और प्रसादी वितरित कर स्वागत किया। यहां के निवासियों में इस बार परिवर्तित हुए शोभायात्रा मार्ग को लेकर खुशी प्रकट की। शोभायात्रा में गणेशजी 35 फुट लंबे 9 फुट चौड़े गरुड़ पर खड़े होकर 18 फुट ऊंचे बाल गणपति का भ्रमण किया। इसके साथ ही शोभायात्रा में कुल 80 स्वरूप और चित्र झांकिया शामिल हुई।

शोभायात्रा मोती डूंगरी गणेशजी से रवाना होकर मोती डूंगरी रोड, सांगानेरी गेट, बापू बाजार, चौड़ा रास्ता, त्रिपोलिया बाजार, गणगौरी बाजार, होते हुए देर रात गढ़ गणेशजी पहुंचकर विसर्जित हुई। शोभायात्रा में सबसे पीछे मोती डूंगरी गणेशजी का स्वर्ण मंडित भव्य रथ में विराजित किया गया। हाथी की पूजा के बाद शोभायात्रा प्रारम्भ शोभायात्रा में निशान के हाथी की पूजा के बाद शोभायात्रा प्रारम्भ की गई।