इस शहर में होती है दलितों की खातिरदारी

www.khaskhabar.com | Published : शनिवार, 03 सितम्बर 2016, 7:26 PM (IST)

जोधपुर । आये दिन दलितों पर अत्याचार की खबरें आती है लेकिन राजस्थान के जोधपुर शहर में दलितों को सर आँखों पर बैठाया जाता है । यहां जात नहीं पूछी जाती है बल्कि उन लोगों की खातिरदारी होती जो समाज में पिछड़े माने जाते है । चाहे वो हरिजन हो, या फिर कोई दलित, ब्राह्मण भी उन्हें अदब आबरू के साथ भोजन परोसता है । दरअसल ये लोग लोक देवता बाबा रामदेव के भक्त होते है जो पोकरण के पास बाबा के दर्शन करने जाते है । इन श्रद्धालुओं का मार्ग जोधपुर होकर गुजरता है और शहर में घुसने से लेकर पोकरण तक भंडारे चलाये जाते है । इसे मारवाड़ का मिनी कुम्भ भी कहा जाता है ।

देश के विभिन्न राज्यों से बाबा के भक्त पैदल यात्रा कर रामदेवरा पहुँचते है । इसे सेवा भाव का जज्बा ही कहेंगे क्योंकि इन भंडारों में देशी घी में बनी मिठाइयां और लड्डू परोसे जाते है । तकरीबन एक महीने की इस सेवा में टनों देशी घी और तेल की खपत होती है ।यहाँ चलने वाले भंडारों में जाति या धर्म नहीं पूछा जाता । बस, सभी बाबा के बेटे माने जाते है । भंडारा चलाने वाले हजारों है जो अपने मन से बाबा के भक्तों की सेवा करते है । विशेषकर इन भक्तों में दलित ज्यादा होते है जिनकी आवभगत की जाती है । लोगों की मान्यता है कि बाबा ने जातिप्रथा का विरोध किया था और यहाँ सेवा करने से मन प्रसन्न होता है ।