आनंदपाल को जमीन निगल गई या आसमान खा गया!

www.khaskhabar.com | Published : शनिवार, 03 सितम्बर 2016, 5:30 PM (IST)

अजमेर। फरार कुख्यात गेंगस्टर आनंदपाल सिंह और राजस्थान पुलिस के बीच चल रही लुकाछिपी को शनिवार को एक साल पूरा हो गया है। आनंदपाल को जमीन निगल गई या आसमान खा गया कि तीन सौ पैंसठ दिन की लम्बी जद्दोजहद के बाद भी पुलिस के हाथ नहीं लगा है। एक साल तक गृह मंत्री और पुलिस द्वारा किया हर दावा फेल साबित हुआ है। हर बार यही दावा किया गया कि अब ज्यादा दिन आनंदपाल सलाखों से दूर नहीं रहेगा। पूरे राजस्थान की पुलिस इसमें पंद्रह से ज्यादा आईपीएस अधिकारी, बीस हजार से ज्यादा पुलिस जवानों की सतर्कता के बावजूद अभी तक कुख्यात अपराधी आनंदपाल की गिरफ्तारी नहीं होना प्रदेश की सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल उठा रही है।

बीकानेर। भारतीय राष्ट्रीय ट्रांसपोर्ट कर्मचारी फैडरेशन (इंटक) के बैनर तले इंटक से जुड़े सभी संगठनों ने शनिवार को परिवहन कार्यालय बीछवाल के आगे केंद्र सरकार के सेफ्टी बिल एफडीआई, महंगाई निजीकरण के विरोध में प्रदर्शन किया। इसका नेतृत्व इंटक के भंवरू खां, इसखानी, हेमंत किराडू, मदन पंवार, देवकी नंद व्यास, अब्दुल गफूर, कमल शर्मा, पूर्व पार्षद भंवरसाध सहित सैकड़ों कार्यकताओं ने सरकार की नीति के विरोध में परिवहन कार्यालय के आगे प्रदर्शन कर नारेबाजी की।

3 सितंबर, 2015 को नागौर जिले के डीडवाना में नानूराम हत्याकांड में पेशी के बाद पुलिस एस्कोर्ट में आनंदपाल को वापस अजमेर जेल लाया जा रहा था। परबतसर के गांगवा गांव के पास पिकअप में सवार कुछ बदमाश उसके पीछे लग गए। उन्होंने बॉलीवुड स्टाइल में पुलिस जवानों पर गोलियों की बौछार कर आनंदपाल और उसके साथी सुभाष मंडू और श्रीवल्लभ को छुड़ा लिया था। तभी से आनंदपाल उर्फ एपी फरार है। फायरिंग में 8 पुलिसकर्मी घायल हुए थे।

पुलिस के लिए सरदर्द बन चुके आनंदपाल सिंह का फिलहाल कोई पता नहीं चला है। पुलिस के पास इस बात का भी कोई जवाब नहीं कि आनंदपाल आखिर है कहां। अभी यह तक पता नहीं चल सका है कि वह राजस्थान में है या राजस्थान की सीमा से बाहर। इसके बावजूद पुलिस का अब भी दावा यही है कि एक साल में भले ही उस के हाथ आनंदपाल नहीं लगा हो, लेकिन जो कुछ लगा वह कई मायनों में महत्वपूर्ण है।

आनंदपाल सिंह को लेकर आज प्रदेश की पुलिस के साथ ही खुद सरकार कटघरे में है। गृह मंत्री गुलाबचंद कटारिया हर बार हताश शब्दों में बताते हैं कि सफलता बहुत करीब है। हमने आनंदपाल की कमर तोड़ दी है। आनंदपाल सिंह के फरार होने के बाद पुलिस ने सख्ती बरतकर एक साल में एक के बाद एक 66 लोगो को सलाखों के पीछे डाला है, इन सभी पर आनंदपाल का साथी होने का आरोप है। बताया जाता है कि इनमें से किसी ने आनंदपाल की भागने में मदद की तो किसी ने फरारी के दौरान शरण दी। एक ही गेंग के गुर्गों की इतनी गिरफ्तारियों से अजमेर की हाई सिक्योरिटी जेल आनंदपाल के साथियों से भर चुकी है। आनंदपाल और उसके परिवार के कब्जे की सैकड़ों बीघा जमीन सरकार ने जब्त कर ली। यह कार्रवाई अभी भी जारी है।

अजमेर रेंज आईजी मालिनी अग्रवाल दावा करती है कि यह रणनीति कामयाब हो रही है। पुलिस का दावा है कि अब आनंदपाल बहुत ज्यादा दिनों तक छिप नहीं सकता। पिछले कुछ समय से जिस तरह से पुलिस ने उसके खिलाफ शिकंजा कसा है, उसी का नतीजा है कि वह जब भी बाहर निकला उस का मुकाबला पुलिस से हुआ। इतना कुछ होने के बावजूद वह अभी तक पुलिस गिरफ्त से दूर है।