शुक्र को भारत बंद: इस बार 18 करोड लोग हडताल पर

www.khaskhabar.com | Published : गुरुवार, 01 सितम्बर 2016, 10:26 PM (IST)

नई दिल्ली। देश की 10 केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों से जु़डे मजदूर शुक्रवार को एकदिवसीय राष्ट्रीय हडताल पर जाने वाले हैं। मजदूर उनकी मांगों के प्रति सरकार की उदासीनता और श्रम कानूनों में प्रभावी मजदूर-विरोधी बदलावों के खिलाफ विरोध कर रहे हैं। इस विरोध में 18 करोड मजदूरों के हिस्सा लेने की संभावना है। माना जा रहा है कि यह हडताल पिछले साल हुई हडताल से बडी और नुकसान देने वाली साबित हो सकती है क्योंकि पिछले साल 14 करोड मजदूर हडताल पर थे। ट्रेड यूनियनें सभी मजदूरों के लिए कानूनी न्यूनतम मजदूरी को 18,000 रूपए से कम न रखने की मांग कर रही हैं। सी कैटेगरी में आने वाले मजदूर के लिए न्यूनतम वेतन 18,000 रूपए, बी कैटेगरी के लिए 22,230 रूपए तथा सी कैटेगरी के लिए 26,560 रूपए तय करने की मांग हो रही है।


सरकार ने घोषणा की है कि केन्द्र की परिधि में आने वाले मजदूरों के लिए सी, बी व ए कैटेगरी के लिए न्यूनतम वेतन क्रमश: 9,100 रूपए, 11,362 रूपए और 13,598 रूपए होगा। इसके अलावा, ट्रेड यूनियंस की मांग है कि परमानेंट और कॉन्ट्रैक्ट, दोनों तरह के मजदूरों के लिए एक समान न्यूनतम मजदूरी तय की जाए। वे इसके लिए न्यूनतम मजदूरी एक्ट,1948 में बदलाव की मांग करने की मांग भी उठा रही हैं। केन्द्र के नोटिफिकेशन जारी करने के बाद, न्यूनतम मजदूरी में किया गया बदलाव केन्द्र सरकार के कर्मचारियों पर लागू होगा। यह आदेश उन्हीं रोजगारों पर लागू होगा, जिनके बारे में न्यूनमत मजदूरी एक्ट, 1948 में प्रावधान किए गए हैं। वर्तमान में केन्द्र सरकार के अंतर्गत आने वाले रोजगारों में कृषि, पत्थर खदानें, निर्माण, गैर-कोयला खदान, लोडिंग एवं अनलोडिंग आदि शामिल हैं। राज्य सरकारों के रोजगारों की संख्या 1679 है।


सीटू का कहना है कि सरकार ने उनकी 12 सूत्री मांगों पर ध्यान नहीं दिया है और सरकार एकतरफा तरीके से श्रमसुधार लागू कर रही है। इसके विरोध में देशभर के श्रम संगठन शुक्रवार को काम का बहिष्कार करेंगे। ट्रेड यूनियन कोऑर्डिनेशन कमेटी के महासचिव एसपी तिवारी ने कहा कि इस बार औपचारिक और अनौपचारिक क्षेत्रों के 18 करोड के करीब श्रमिक सरकार की उदासीनता के विरोध में सडकों पर उतरेंगे। सीटू ने कहा कि सरकार बोनस और सामाजिक सुरक्षा के बारे में बयानबाजी कर भ्रम पैदा कर रही है।


अस्पताल,पावर प्लांटकर्मी भी हडताल में ...

बंदरगाहों और नागरिक विमानन सेवाओं के अलावा यातायात, टेलीकॉम और बैंकिंग क्षेत्र भी प्रभावित होंगे। अस्पताल और पावर प्लांटकर्मी भी हडताल में शामिल होंगे, लेकिन यह विरोध सामान्य कामकाज को प्रभावित नहीं करेगा। तिवारी ने कहा कि कोल इंडिया, गेल, ओएनजीसी, एनटीपीसी, ऑयल, एचएएल और भेल जैसी सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों के कर्मचारी भी हडताल का हिस्सा होंगे। भारतीय रेल और अन्य केंद्र सरकार के कर्मचारी हडताल में शामिल नहीं होंगे क्योंकि सरकार ने उनकी मांगों का आकलन करने के लिए कमेटी का गठन कर दिया है।


एनओबीडब्ल्यू हडताल में शामिल नहीं...

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के छह कर्मचारी संगठनों ने भी हडताल में शामिल होने का फैसला किया है। ऑल इंडिया बैंक इंप्लायज एसोसिएशन, बैंक इंप्लायज फेडरेशन ऑफ इंडिया, ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन, ऑल इंडिया बैंक आफिसर्स कॉन्फेडरेशन तथा इंडियन नेशनल बैंक ऑफिसर्स कांग्रेस ने नोटिस दिए हैं। नेशनल आर्गनाइजेशन आफ बैंक वर्कर्स तथा नेशनल आर्गनाइजेशन आफ बैंक ऑफिसर्स हडताल में शामिल नहीं हैं। भारतीय स्टेट बैंक समेत अधिकतर बैंकों का मानना है कि अगर हडताल होती है, उनकी सेवा प्रभावित हो सकती है।