भरतपुर के सहकारी बैंकों में हुए घोटालों की एसीबी से जांच हो : डॉ. सुभाष गर्ग

www.khaskhabar.com | Published : मंगलवार, 11 मार्च 2025, 5:49 PM (IST)

विधानसभा संवाददाता

भरतपुर। राज्य विधानसभा में मंगलवार को सहकारिता और खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग की अनुदान मांगों पर बहस के दौरान राष्ट्रीय लोकदल (RLD) के विधायक डॉ. सुभाष गर्ग ने भरतपुर के सहकारी बैंकों में हुए घोटालों पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने इन घोटालों की जांच भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) से कराने की मांग की।
डॉ. गर्ग ने बहस के दौरान कहा कि को-ऑपरेटिव बैंकों और अन्य संस्थानों पर सहकारिता विभाग का प्रभावी नियंत्रण नहीं है। उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि को-ऑपरेटिव सोसायटीज के तहत संचालित शैक्षणिक और मेडिकल संस्थानों पर कोई निगरानी नहीं होती, जिससे वहां फंड्स के दुरुपयोग की आशंका बनी रहती है।
डॉ. गर्ग ने कहा कि को-ऑपरेटिव बैंकिंग सिस्टम का उद्देश्य कमजोर और मध्यम वर्ग को वित्तीय समावेशन देना था, लेकिन भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के कारण यह उद्देश्य प्रभावित हो रहा है। उन्होंने कहा कि इन बैंकों पर पहले 2002 और फिर 2020 में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा संशोधन किए गए, लेकिन अभी भी इनकी कार्यप्रणाली पारदर्शी नहीं है।
उन्होंने कहा कि को-ऑपरेटिव बैंक अभी भी आईटी और आधुनिक बैंकिंग टेक्नोलॉजी का उपयोग नहीं कर रहे हैं, क्योंकि इससे ऋण घोटाले उजागर हो सकते हैं। कई मामलों में लोन किसी और के नाम पर मंजूर होता है और पैसा किसी और को मिल जाता है।
डॉ. गर्ग ने सहकारी बैंकों की भर्ती प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए और कहा कि इन बैंकों में प्रोफेशनली क्वालिफाइड कर्मचारियों की भर्ती की जानी चाहिए। इसके लिए सहकारी बैंकों का अलग कैडर बनाया जाना जरूरी है। उन्होंने यह भी कहा कि सहकारी बैंकों को सेंट्रल बैंकिंग सिस्टम से जोड़ा जाए, ताकि इनकी वित्तीय गतिविधियां पारदर्शी हो सकें।
भरतपुर के सहकारी बैंकों की स्थिति पर चर्चा करते हुए डॉ. गर्ग ने कहा कि यहां बड़े घोटाले हुए हैं, लेकिन किसी पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने आरोप लगाया कि बैंकों के चुनाव में बाहुबली और राजनीतिक प्रभाव का बोलबाला रहता है, जिससे भ्रष्टाचार बढ़ता है।
डॉ. गर्ग ने भरतपुर के सहकारी बैंकों में हुए घोटालों की जांच ACB से कराने की मांग की और कहा कि को-ऑपरेटिव सेक्टर में सुधार के लिए एक वर्किंग ग्रुप बनाया जाए, जो इन संस्थानों की कार्यप्रणाली का अध्ययन कर आवश्यक सुधारों की सिफारिश करे। उन्होंने कहा कि सहकारी बैंकिंग सिस्टम को पारदर्शी और जनहितैषी बनाने की सख्त जरूरत है।

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