...तो इसलिए हुई थी रविंद्रनाथ टैगोर की मौत!

www.khaskhabar.com | Published : सोमवार, 08 अगस्त 2016, 1:48 PM (IST)

कोलकाता। नोबेल पुरस्कार विजेता रविंद्रनाथ टैगोर की मौत क्यों हुई थी, इस बात का शायद बहुत ही कम लोगों को पता है। अब टैगोर के पैतृक आवास की देखरेख करने वाले रविंद्र भारती यूनिवर्सिटी ने उन घटनाओं और कारणों की पड़ताल करने का फैसला किया है, जिनके कारण 1941 में उनकी मौत हुई। वर्ष 1940 के शुरू होने के बाद ही वह बीमारी की चपेट में आते चले गए। टैगोर का लोगों के बीच इतना ज्यादा सम्मान था कि लोग उनकी मौत के बारे में बात नहीं करना चाहते थे। एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक जोड़ासांको ठाकुरबाड़ी म्यूजियम में वो कमरा है, जहां टैगोर ने अंतिम सांसें ली थीं, लेकिन इस म्यूजियम में टैगोर के आखिरी दिनों की कोई रिकॉर्डिंग नहीं है।

रविंद्र भारती विश्वविद्यालय के कुलपति सव्यसाची बासु रॉय चौधरी रविवार को कहा कि अब हमने इस रहस्य से पर्दा उठाने का फैसला किया है कि आखिर उनकी मौत का कारण क्या था। ऐसा नहीं है कि टैगोर की मौत के बारे में किसी को भी नहीं पता। उनके कमरे के बाहर के बरामदे को जिस ऑपरेशन के लिए ऑपरेशन थिएटर में बदला गया था, वह उनका आखिरी ऑपरेशन साबित हुआ। इसके बारे में दस्तावेज भी हैं, लेकिन ज्यादातर लोग नहीं जानते कि टैगोर की मौत का कारण शायद प्रोस्टेट कैंसर था।



15 सितंबर 1940 को टैगोर ने एकाएक पेट में तेज दर्द की शिकायत की। उनके मूत्राशय में संक्रमण पाया गया। इसके बाद उनका पेशाब करना लगभग पूरी तरह से ही बंद हो गया। उन्हें उनके पैतृक निवास ठाकुरबाड़ी ले जाया गया। वहां थोड़े दिन रखने के बाद उन्हें शांति निकेतन ले जाया गया। हालांकि टैगोर ने आयुर्वेदिक इलाज जारी रखे जाने का आग्रह किया था, लेकिन डॉक्टरों ने साथ-साथ अंग्रेजी पद्धति से भी इलाज करने की ठानी।

डॉक्टर ऑपरेशन की जिद कर रहे थे, लेकिन टैगोर ने इससे इनकार कर दिया। फिर जब उनकी हालत और बिगड़ गई, तब डॉक्टरों को उनमें यूरीमिया और कुछ अन्य बीमारियों का पता लगा। फिर जल्द से जल्द ऑपरेशन किए जाने का फैसला किया गया। ठाकुरबाड़ी में ही एक ऑपरेशन थियेटर बनाकर उनकी सर्जरी हुई। डॉक्टर उनके बढ़े हुए प्रोस्टेट को तो नहीं निकाल पाए, लेकिन शरीर में जमा हो गए पेशाब को निकालने के लिए बायपास सर्जरी जरूर की गई।