नई दिल्ली। पापा की परियां होती हैं बेटिया, बेटा दिल है तो जान होती हैं बेटियां। जी हां सच में बेटियों की जान पापा में ही बसती है। इसकी एक बानगी देखने को मिली दिल्ली में जहां अपने फौजी पापा से मिलने शिलांग से दिल्ली तक का 2500 किलोमीटर का सफर तय कर दो बच्चियां पहुंची। यहां से पाक बॉर्डर जाने वाली ट्रेन पकडऩी थी, लेकिन भाषा नहीं जानने और भीड़ के कारण भटक गईं। इनमें से एक के पिता पंजाब स्थित पाक बॉर्डर और दूसरे के पिता छत्तीसगढ़ के नक्सल इलाके में बतौर बीएसएफ जवान तैनात हैं।
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पापा से मिलने की चाह में निकल पड़ीं
मेघालय की राजधानी शिलांग से
पाकिस्तान बॉर्डर तक ढाई हजार किलोमीटर लंबे सफर में बच्चियां दिल्ली
पहुंची, लेकिन यहां आकर भटक गईं। आरपीएफ जवान मामले को भांप गए और बच्ची को
चालाकी से बच्चियों को बीएसएफ हेडक्वॉर्टर भिजवा दिया। बच्चियों ने बताया
कि जब दूसरे बच्चे अपने पापा के साथ खेलते थे, तो उन्हे भी अपने पिता की
याद आती थी। 9 साल की अनीषा के पिता सुभाष चंद पंजाब बॉर्डर पर तैनात लेकिन
इन दिनों उनकी ड्यूटी कश्मीर में थी।
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ऐसा रहा दिल्ली तक का सफर
अनीषा
अपने पिता की तैनाती की जगह, प्लाटून नंबर व एड्रेस लेकर घर से निकली थी।
अनीषा और तीसरी क्लास में पढऩे वाली उसकी दोस्त पेमा शेरपा 4 अगस्त की
दोपहर में घर से निकली। दोनों शिलांग से गुवाहाटी जाने वाली टाटा सूमो में
सवार हुई। गुवाहाटी स्टेशन से ये बच्चियां बिना टिकट ट्रेन में बैठी और 6
अगस्त को दिल्ली पहुंच गई। दिल्ली स्टेशन से ये बच्चियां पाक बॉर्डर जाने
वाली ट्रेन में सवार होना चाहती थीं, लेकिन भाषा नहीं जानने और भीड़ के
कारण भटक गईं। इसी दौरान आरपीएफ अधिकारी सुनील चौबे और नितिन मेहरा ने
अनीषा व पेमा को स्टेशन पर अकेले घूमते देख और उनसे बात की। बच्चियों से
मिले जवाब से दोनों सुरक्षाकर्मी दंग रह गए।
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बीएसएफ मुख्यालय और शिलांग पुलिस को दी सूचना
बच्चियों
ने बताया कि वह अपने पापा से मिलने पाकिस्तान बॉर्डर जा रही हैं और रोकने
से रुकेंगी नहीं। पेमा को उम्मीद थी कि उसके पिता भी वहीं होंगे। आरपीएफ
जवानों ने बच्चों को बातों में फुसलाया और चिप्स, कोल्ड ड्रिंक्स दिलवाई।
पाक बॉर्डर जाने वाली ट्रेन में बिठाने का बहाना करके थाने ले आए। यहां
बच्चों से कोई सीधी पूछताछ नहीं कि गई बस बातों बातों में पता लगाया कि वे
शिलांग से हैं और दोनों के पिता बीएसएफ में हैड कांस्टेबल है। थाना इंचार्ज
ने पूरी बात बीएसएफ मुख्यालय और शिलांग पुलिस को बताई। मामले की गंभीरता
देखते हुए डीजी स्तर के अधिकारी इस चर्चा में शामिल हुए। इसके बाद देर रात
बच्चों को बीएसएफ कैंप स्थित महिला बटालियन को सौंप दिया गया।
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क्राइम ब्रांच कर रही थी जांच गुमशुदगी की जांच
शिलांग
के रिंजहा थाने में दोनों बच्चियों के परिवार ने अपहरण का मुदकमा दर्ज
कराया था। स्थानीय लोग इस बच्चियों के लापता होने से गुस्से में थे और थाने
का घेराव करके बैठे थे। इसी को देखते हुए स्थानीय सरकार ने एसपी क्राइम
बांच को मामले की जांच सौंपी थी।
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सुखद अंत: पिताओं को प्लेन से बुलाया और एक महीने की छुट्टी दी
बीएसएफ
कमांडेंड शुभेंदु भारद्वाज के मुताबिक दोनों जवानों के लिए फ्लाइट की
व्यवस्था कर उन्हे बच्चों से मिलाया गया है। अनीषा के पिता फिलहाल कश्मीर
में ड्यूटी कर रहे थे। जवानों की एक महीने की विशेष छुट्टी मंजूर कर उन्हें
परिवार के साथ बिताने का अवसर दिया गया है।