रियो ओलम्पिक: कड़ी स्पर्द्धा से गुजरेंगे भारतीय मुक्केबाज

www.khaskhabar.com | Published : शुक्रवार, 05 अगस्त 2016, 1:52 PM (IST)

रियो डि जेनेरो। रियो ओलम्पिक में हिस्सा ले रहे भारत के तीनों मुक्केबाजों को यहां कड़ी स्पर्द्धा से गुजरना होगा। शिवा थापा(56 किलो), मनोज कुमार(64 किलो) और विकास कृष्णन(75 किलो) ओलंपिक में भारतीय चुनौती पेश करेंगे। ड्रॉ में किसी भी भारतीय मुक्केबाज को बाय नहीं मिली है। यहां सिर्फ विकास को सातवीं वरीयता मिली है।

अमेरिकी मुक्केबाज से भिड़ेंगे विकास
विकास कृष्णन 10 अगस्त को अमेरिका के 18 वर्षीय चाल्र्स कोनवेल से दो-दो हाथ करेंगे। विकास एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक और विश्व चैम्पियनशिप के कांस्य पदक जीत चुके हैं। शिवा थापा नौ अगस्त को क्यूबा के छठी वरीयता प्राप्त रोबेइसी रामिरेज से खेलेंगे। दोनों का सामना 2010 युवा ओलंपिक फाइनल में हो चुका है। जिसमें शिवा को पराजय झेलनी पड़ी थी। राष्ट्रमंडल खेल स्वर्ण पदक विजेता रहे मनोज 10 अगस्त को लिथुआनिया के पूर्व युवा ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता एवाल्डास पेत्राउस्कास से खेलेंगे।

अब तक जीते हैं दो पदक
भारतीय मुक्केबाजों ने अब तक दो ओलंपिक पदक जीते हैं। विजेन्दर सिंह ने बीजिंग ओलंपिक 2008 में 75 किलो में कांस्य पदक जीता था। वहीं 2012 में लंदन में एम.सी. मेरी कॉम ने महिलाओं के 51 किलो में कांसे का तमगा हासिल किया था। इस बार ओलम्पिक में कोई भारतीय महिला मुक्केबाज क्वालीफाई नहीं कर सकी है।

तीनों से है पदक की उम्मीद

चार साल पहले शिवा भारतीय मुक्केबाजी दल के सबसे कम उम्र के सदस्य थे जो पहले दौर में हार गए थे। अब वह पदक की सबसे बड़ी उम्मीद हैं। विकास विश्व रंैकिंग में छठे स्थान पर हैं, जो लंदन ओलंपिक से विवादित तरीके से बाहर हो गए थे। अमेरिका के एरोल स्पेंस के खिलाफ प्री क्वार्टर फाइनल में मिली जीत को वीडियो रिव्यू के बाद खारिज कर दिया गया था। इसके बाद उसने खेल से ब्रेक लिया और वापसी करके एशियाई चैम्पियनशिप में रजत पदक जीता। उसने बाकू में विश्व ओलंपिक क्वालीफाइंग के जरिए रियो का टिकट कटाया। मनोज तीनों में सबसे अनुभवी है जो लंदन में स्थानीय मुक्केबाज थामस स्टाकर से हार गए थे।

दुर्दिनों से गुजर रही भारतीय मुक्केबाजी
भारतीय मुक्केबाजी इन दिनों राष्ट्रीय महासंघ के अभाव में दुर्दिन झेल रही है। अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी संघ ने भारतीय महासंघ को बर्खास्त कर दिया था। जिसके बाद पिछले चार साल से सीनियर राष्ट्रीय चैम्पियनशिप नहीं हुई और मुक्केबाजों को अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में खेलने का मौका नहीं मिल सका है। रियो टीम में कोई नया चेहरा जगह नहीं बना सका लेकिन शिवा, विकास और मनोज के अनुभव को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता