अंकारा। जब आम जतना सो रही थी, तुर्की की सेना तख्तापलट करने में लगी थी। तुर्की के राष्ट्रपति रसेप तईप एर्दोवां ने दावा किया है कि सेना की तख्तापलट की कोशिश को नाकाम कर दिया गया है। दूसरी तरफ, तुर्की की सेना ने दावा किया है कि उसने सत्ता पर नियंत्रण कर लिया है। तुर्की में फिलहाल अनिश्चित की स्थिति है, क्योंकि सेना और सरकार दोनों एक दूसरे के दावों को गलत बदा रहे हैं। जिस समय सेना ने हमले शुरू किए, उस वक्त राष्ट्रपति एदोवां छुट्टियां मना रह्वहे थे, लेकिन वह तुरंत इस्तांबुल लौटे और घोषणा की सेना के कब्जे से जल्द ही देश को निकाल लिया जाएगा।
शुक्रवार की रात तुर्की की राजधानी में ब्लास्ट, हवाई हमला और गनफायर की आवाज चौतरफा गूंज रही थीं। तुर्की के सरकारी मीडिया के मुताबिक अब तक 194 लोगों की जान जा चुकी है। इस बीच तुर्की ने नए आर्मी चीफ की नियुक्ति की घोषणा की है। तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तयीप एर्दुवां ने सेना के इस दु:साहस के खिलाफ लोगों से सडक़ पर उतरने की अपील की। उन्होंने कहा कि लोग लोकतंत्र को बचाने के लिए सडक़ पर आएं। एर्दुवां ने अपने समर्थकों से कहा कि देश की कमान उनके पास है और तख्तपलट नाकाम हो चुका है। तुर्की के राष्ट्रपति शनिवार तडक़े अपने समर्थकों की भीड़ के साथ इस्तांबुल के मेन एयरपोर्ट पर पहुंचे।
इसका फुटेज लोकल मीडिया ने प्रसारित किया है। राष्ट्रपति ने कहा कि सेना
के जिस धड़े ने लोकतंत्र को कुचलने की कोशिश की है, उन्हें भारी कीमत
चुकानी पड़ेगी। तुर्की के प्रधानमंत्री बिनाली यिल्दिरिम ने ब्रॉडकास्टर
एनटीवी से शनिवार को कहा कि स्थिति नियंत्रण में है। इसके बाद ही
राष्ट्रपति एर्दुवां ने इस्तांबुल आने का फैसला किया।
एर्दुवां के समर्थन
और तख्तापलट के विरोध में इस्तांबुल की सडक़ों पर भारी संख्या में लोग
निकले। इस दौरान एर्दुवां ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने प्रेस
कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘यह राजद्रोह है। इसके पीछे जो भी हैं, उन्हें भारी
कीमत चुकानी पड़ेगी। मैं लोगों के साथ खड़ा हूं। जहां से मैं इस्तांबुल आया
हूं, वहां विस्फोट किए गए हैं।
उन्हें लग रहा था कि मैं अब भी
वहीं हूं इसलिए उन्होंने बमबारी की थी।’ एर्दुवां मार्मिस सिटी से
इस्तांबुल पहुंचे थे। अनादोलु न्यूज एजेंसी के मुताबिक 60 लोगों की मौत के
अलावा कम से कम 150 लोग जख्मी हुए हैं। एजेंसी के मुताबिक मारे गए लोगों
में से 17 पुलिस ऑफिसर हैं।
फतेउल्लाह गुलेन का हाथ होने का आरोप
एर्दुवां
ने यह भी कहा कि तख्तापलट की कोशिश अमेरिका स्थित इस्लामिक उपदेशक
फतेउल्लाह गुलेन के समर्थन से की गई है। एर्दुवां का आरोप है कि फतेउल्लाह
लंबे से लोकतांत्रिक सरकार को अपदस्थ करने की कोशिश में लगे हैं। जबकि
दूसरी ओर गुलेन ने कहा है कि सरकार को पारदर्शी चुनाव कराना चाहिए और उसे
ताकत का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
इस मुश्किल मौके में
एर्दुवां को लोगों का समर्थन खूब मिला। लोगों के समर्थन के कारण ही यह
तख्तापलट की कोशिश कामयाब नहीं हो पाई। प्रधानमंत्री यिल्दिरिम ने कहा कि
120 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। राष्ट्रपति ने कहा कि गिरफ्तार लोगों
में ज्यादातर सेना के अफसर हैं।
तुर्की के प्रधानमंत्री ने कहा कि सेना को
राष्ट्रपति की तरफ से उन लोगों को गोली मारने का आदेश दिया है जिन्होंने
प्लेन हाइजैक कर तख्तापलट की कोशिश की। इसके पहले अधिकारियों ने कहा था कि
फाइटर जेट्स ने एक हेलिकॉप्टर को मार गिराया जिसे तख्तापलट करने वाले सेना
अधिकारियों ने ने इस्तेमाल किया था।
17 पुलिस अफसरों की मौत
शुक्रवार
रात सेना के कुछ धड़ों ने सभी ब्रॉडकास्टर्स को ई-मेल भेजकर पूरे देश पर
कब्जा करने दावा करने के साथ ही तख्तापलट और मार्शल लॉ की घोषणा कर दी थी।
इन्होंने कहा कि तुर्की की कमान अब उनके हाथों में है। इन्होंने इस्तांबुल
के मुख्य एयरपोर्ट को बंद कर दिया। आकाश में केवल फाइटर जेट्स दिख रहे थे।
तुर्की की इंटेलिजेंस एजेंसी एमआईटी को हाइजैक हेलिकॉप्टर से टारगेट किया
गया लेकिन तख्तापलट की कोशिश कामयाब नहीं रही। सेना ने पुलिस स्पेशल फोर्स
के हेडक्वार्टर पर हवाई हमला किया, जिसमें 17 पुलिस अधिकारियों के मारे
जाने की खबर है। तुर्की की संसद में विस्फोट की खबर है, जहां सेना ने अपने
टैंक तैनात कर दिए थे। हालांकि यिल्दिरिम ने तख्तापलट की कोशिश की घोषणा की
तो कम से कम सेंट्रल इस्तांबुल के पास दो बड़े धमाकोंकी आवाज सुनी गई।
यहीं पर टक्सिम स्क्वेयर है।
तुर्की में लगा कफ्र्यू, उड़ानें रद्द
तुर्की
के प्रधानमंत्री बिनाली यिलदीरिम ने सुरक्षा बलों सले कहा है कि सेना का
मुकाबला करने के लिए जो भी संभव हो, किया जाए। पूरे देश में कफ्र्यू का
एलान कर दिया गया है और सभी एयरपोर्ट बंद कर उड़ाने रोक दी गई हैं।
आर्मी
के कुछ धड़ों ने शुक्रवार रात तख्तापलट लॉन्च करते हुए फाइटर जेट को अपने
कब्जे में लिया। इसके बाद गनफायर और ब्लास्ट की आवाज आने लगी। तुर्की में
तख्तापलट की यह कोशिश कोई पहली बार नहीं की गई है। इसके पहले 1960 से 1980
के बीच तीन तख्तालट हो चुका है।