हिजबुल के नए कमांडर गजनवी की हैं ये खूबियां

www.khaskhabar.com | Published : गुरुवार, 14 जुलाई 2016, 2:46 PM (IST)

नई दिल्ली। बुरहान वानी की एनकाउंटर में मौत के चार दिन बाद हिजबुल ने घाटी में अपने नए कमांडर का ऐलान कर दिया है। हालांकि नए कमांडर का नाम मेहमूद गजनवी बताया गया है, मगर यह असली नाम नहीं है, यह उसे कोडनेम दिया गया है। यह नया कमांडर आतंकी बुरहान वानी के जनाजे में भी शामिल हुआ था। यह भी जानकारी सामने आई है कि नया कमांडर गजनवी और वानी गहरे दोस्त थे।

हिजबुल मुजाहिद्दीन के ऐलान के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने भी यह खोजबीन शुरू कर दी कि कश्मीर घाटी में आतंक के किस चेहरे ने बुरहान वानी की जगह ली है। दरअसल, खुफिया जानकारियों और आतंकियों के डेटाबेस में मेहमूद गजनवी नाम का कोई शख्स नहीं था, लिहाजा यह समझते देर नहीं लगी कि मेहमूद गजनवी असली नाम न होकर कोडनेम है। सुरक्षा एजेंसियों की मेहमूद गजनवी के लिए यह तलाश उन वीडियोज पर आकर रुक गई जिन्हें त्राल में बुरहान वानी के जनाजे के दौरान शूट किया गया है।

आईबीएन की रिपोर्ट के मुताबिक, वीडियो में दिखाई दे रहे हरी शर्ट वाले शख्स की मेहमूद गजनवी के रूप में पहचान की गई है। उसे अब तक डॉन के नाम से जाना जाता था। उसे ही हिजबुल के सुप्रीम कमांडर सैयद सलाउद्दीन ने खुद नया डिवीजनल कमांडर घोषित किया है। सब्जार, जिसे डॉन के नाम से भी जाना जाता था, 25 साल का नौजवान है। 2015 तक वह बुरहान वानी के ओवरग्राउंड वर्कर के तौर पर जाना जाता था।

इसका असली नाम सब्जार अहमद डार उर्फ डॉन है, जो 2015 में आतंकी बना था। लेकिन अब इसकी नई पहचान हिजबुल के डिवीजनल कमांडर के रूप में है, जिसका नया कोडनेम मेहमूद गजनवी है। जानकारी के मुताबिक, सब्जार अहमद डार पुलवामा के रतसुना त्राल का रहने वाला है। यह वानी का बचपन का दोस्त है। 2015 में जब बुरहान वानी के भाई की मौत हुई थी, तब उसके बाद सब्जार ने भी अंडरग्राउंड रहकर हिजबुल ज्वाइन कर लिया था और उसके बाद जंगल चला गया था।

बुरहान वानी के साथ सब्जार का रिश्त बहुत ही अजीब था। दरअसल बुरहान वानी रंगीन मिजाज था, लड़कियों की तरफ उसके झुकाव को देखते हुए ही सब्जार तीन साथियों के साथ उससे अलग रहने लगा था, लेकिन शुरूआत से ही बुरहान के आतंक के नेटवर्क की अहम कड़ी था। सब्जार ने ही बुरहान वानी का सलाउद्दीन से फोन पर संपर्क कराया था।

उसके गुट तक हिजबुल का भेजा आतंक का काला पैसा भी सब्जार ही पहुंचाता था, लेकिन 2015 में पुलवामा के त्राल में एक पुलिसवाले की राइफल छीनने के बाद सब्जार खुलकर आतंक की स्याह दुनिया में कूद पड़ा। सब्जार एक पढ़ा-लिखा नौजवान है और आईटी में महारत हासिल है। उसने बीए तक पढ़ाई की है और सोशल मीडिया के एक्सप्लॉइटेशन में वह वानी की तरह ही है।

सब्जार की तस्वीरें दर्शाती हैं कि उसे भी बुरहान की तरह कैमरे से परहेज नहीं है। सब्जार की ताकत यह भी है कि हिजबुल के लिए वह 2010 से ही अंडरग्राउंड समर्थक के तौर पर काम करते हुए आगे बढ़ा है और उसे आतंकी नेटवर्क की बारीक जानकारी है। मोबाइल नेटवर्क के जरिए होने वाली निगरह्वानी को गच्चा देने के गुर में भी यह माहिर हो चुका है।