तलाक का नोटिस देने पर पति ने किए पत्नी के राज उजागर, कांस्टेबल पत्नी को नौकरी से धोना पड़ा हाथ

www.khaskhabar.com | Published : शुक्रवार, 17 मार्च 2023, 4:54 PM (IST)

उदयपुर। तलाक का नोटिस देने पर हवलदार पति ने अपनी कांस्टेबल पत्नी का फर्जीवाड़ा उजागर कर दिया। इसके बाद 15 साल से पुलिस विभाग में कांस्टेबल पत्नी की नौकरी ही चली गई। झारखंड की रहने वाली इस महिला कांस्टेबल ने जनजाति वर्ग में आवेदन कर नौकरी पाई थी। महिला ने मुंडा जाति का प्रमाण पत्र लगाया था जो प्रदेश में अधिसूचित ही नहीं है। पुलिस विभाग समेत कई स्तर पर इस मामले में लापरवाही उजागर हुई है। मामला दो माह पुराना है, विभाग ने गुपचुप तरीके महिला कांस्टेबल को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी है।


पुलिस विभाग के सूत्रों के मुताबिक कांस्टेबल हीरा गगराई के पति सुनील ने शिकायत की तो जांच में इस बात का खुलासा हुआ। हीरा की 2005 में झारखंड के ही बीएसएफ हवलदार सुनील बारी से शादी हुई थी। रिटायर्ड होने के बाद सुनील भी हीरा के साथ उदयपुर पुलिस लाइन के क्वार्टर में रहने लगा। 2016 में दोनों के बीच मनमुटाव शुरू हो गया था। इसके बाद सुनील हीरा को छोड़ पुत्री को लेकर गांव चला गया। 2018 में हीरा ने उसे तलाक का नोटिस भेजा। इसके बाद सुनील ने उदयपुर पुलिस के अधिकारियों को हीरा के फर्जीवाड़े से पुलिस में भर्ती होने की शिकायत की।


मामले के मुताबिक राजस्थान पुलिस ने 14 जून 2005 को कांस्टेबल के लिए भर्ती निकाली थी। विज्ञप्ति क्रमांक 3751 के बिंदु चार में स्पष्ट रूप से उल्लेखित था कि अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति व अन्य पिछड़ा वर्ग में राजस्थान के आवेदक ही पात्र होंगे। हीरा गगराई ने महिला कांस्टेबल पद के लिए एसटी वर्ग में आवेदन किया। साथ में अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र भी लगाया। हीरा मुंडा जाति से संबंधित थी। यह जाति प्रदेश में अधिसूचित ही नहीं थी। ऐसे में वह सामान्य श्रेणी में आवेदन करने के लिए ही पात्र थी।


इस मामले में एसपी विकास शर्मा ने 22 अक्टूबर 2022 को मामले की जांच महिला अपराध एवं अनुसंधान प्रकोष्ठ की उपअधीक्षक चेतना भाटी को सौंपी। 16 दिसंबर को कांस्टेबल को नोटिस जारी किया। 28 को उसने आरोपों को खारिज करते हुए निष्पक्ष जांच की मांग की। भाटी ने पाया कि हीरा ने गलत ढंग से एसटी वर्ग में नियुक्ति पा ली थी। वह सामान्य वर्ग में भी आवेदन की पात्र नहीं थी। क्योंकि उसका जन्म 29 दिसंबर 1978 को हुआ था, जबकि सामान्य वर्ग में भर्ती के लिए 1 जनवरी 1980 निर्धारित थी। हीरा संतोषप्रद जवाब नहीं दे पाई।


इस पर आरोपों को प्रमाणित मानते हुए एसपी ने 16 जनवरी 2023 को वीआरएस दे दिया। अब इस मामले में भर्ती के दौरान दस्तावेजों की जांच में लापरवाही बरतने, प्रमाण पत्र बनाने वालों पर कार्रवाई की जा सकती है।

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