राजस्थान में सरकार का पीपीपी मॉडल फेल, ज्वाइंट वेंचर कंपनी रिडकोर बंद होने के कगार पर

www.khaskhabar.com | Published : सोमवार, 06 फ़रवरी 2023, 4:21 PM (IST)

गिरिराज अग्रवाल


प्राइवेट पार्टनर आईएलएंडएफएस ने डुबोई कंपनी

जयपुर। राजस्थान में सरकार का पीपीपी मॉडल फेल हो गया है। मेगा स्टेट हाइवे और सड़क निर्माण के लिए वसुंधराराजे सरकार में बनी पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप वाली कंपनी रि़डकोर बंद होने के कगार पर है। यह कंपनी पिछले 13 साल से लगातार घाटे में है। घाटे की वजह यह है कि मेगा हाइवे पर टोल से जितनी राशि जुटाने का अनुमान लगाया गया था। वह रकम नहीं जुट पाई। दूसरे प्राइवेट सेक्टर की कंपनी आईएल एंड एफएस कंपनी के खुद के घाटे और कर्ता-धर्ताओं द्वारा लिए गए गलत फैसले हैं। रोचक तथ्य यह है कि इसके बावजूद कुछ अफसर आईएल एंड एफएस कंपनी से पीछा छुड़ाने के बजाय उसकी बैक डोर एंट्री करवाने के प्रयासों में जुटे हैं।


सूत्रों के मुताबिक वर्ष 2004 बनी इस ज्वाइंट वेंचर कंपनी में राजस्थान और आईएलएंडएफएस की 50-50 प्रतिशत की भागीदारी थी। इस कंपनी का पूरा संचालन प्राइवेट कंपनी आईएलएंडएफएस को सौंप दिया गया। अफसरों की मिलीभगत से सरकार की भागीदारी इसमें केवल फंड मुहैया कराने और बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में प्रतिनिधि रखने तक ही रही। इधऱ, आईएलएंडएफएस ग्रुप की कंपनियों की आर्थिक स्थिति बिगड़ने और रिडकोर पर ध्यान नहीं देने की वजह से नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) ने 1 अक्टूबर, 2018 के आदेश से आईएलएंडएफएस के बोर्ड को सस्पेंड कर दिया। कंपनी का मैनेजमेंट रिडकोर के हाथ में आ गया।
इधर, एनसीएलटी ने आईएलएंडएफएस ग्रुप के खिलाफ गंभीर वित्तीय अनियमितताओं के लिए जांच बिठा दी गई। रिडकोर को भी जांच के दायरे में लिया गया।गंभीर वित्तीय अनियमितताओं के बावजूद राज्य सरकार ने आईएलएंडएफएस के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया। बल्कि सार्वजनिक निर्माण विभाग के अफसर इस कंपनी के कर्ता-धर्ताओं की येन-केन प्रकारेण मदद करते रहे। नतीजा यह हुआ कि रिडकोर भारी घाटे में आ गई। ठेकेदारों के भुगतान रुक गए। रिडकोर पर ठेकेदारों के करीब 102 करोड़ रुपए बकाया हैं। उधऱ, नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल में पिछले 4 साल से मामला पेंडिंग होने के कारण रिडकोर मैनेजमेंट आईएंडएलएफएस कंपनी पर कोई एक्शन भी नहीं ले पा रहा है। बल्कि ज्वाइंट वेंचर कंपनी का प्रबंधन भी उन्हीं लोगों के हाथों में दिया हुआ है जो रिडकोर को डुबाने के लिए जिम्मेदार हैं। इससे ठेकेदारों, कंपनी के हितधारकों और कर्मचारियों में भारी निराशा है।


गड्ढायुक्त सड़कों पर भी वसूल रहे टोल


रिडकोर केे बनाए ज्यादातर मेगा हाइवे अब क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। जगह-जगह गड्ढे हैं। उन पर भी लोगों से टोल वसूला जा रहा है। जबकि टोल का नियम यह है कि सड़क बिलकुल सही कंडीशन में होनी चाहिए। जिससे लोगों का समय और धन बच सके। भरतपुर-मथुरा रोड काफी समय तक खऱाब रहने और एक्सीडेंट बढ़ने के कारण तत्कालीन जिला कलेक्टर हिमांशु गुप्ता को टोल वसूली बंद करवानी पड़ी थी। तब उस रोड की मरम्मत हुई। अब यह रोड फिर क्षतिग्रस्त होने लगी है। कमोबेश यही हाल अन्य सड़कों का है।


ये हैं रिडकोर के बनाए मेगा हाइवेः


फलौदी से रामजी की गोल, हनुमानगढ़ से किशनगढ़, अलवर से सिकंदरा, लालसोट से कोटा, बारां से झालावाड़, अलवर से भिवाड़ी, हनुमानगढ़ से संगरिया, झालावाड़ से झालावाड़ रोड, अर्जुनसर से पल्लू, खुशखेड़ा से कसौला चौक, मथुरा से भरतपुर (रारह बॉर्डर तक), गंगापुर से भाड़ोती और रावतसर से नोहर-भादरा।

जानिए, क्यों सफल नहीं हो पाई रिडकोरः

पहला चरणः दूसरा चरण ः तीसरा चरण
वर्ष- टोल से अनुमानित आय ः वास्तविक आय
2009 - 128- 55
2010 - 149- 83
2011 - 159 - 106
2012- 186 - 155
2013 - 199 - 166 - 28- 41
2014 - 232 - 184 - 102- 53
2015 - 248 - 189 - 108 - 60
2016 - 292 - 224 - 127 - 66
2017- 312 - 290 - 135 - 68 - 46 - 23
2018 - 368 - 307 - 158 - 70 - 53 - 29
2019 - 395 -254 - 168 - 55 - 56 - 23
2020 - 466 - 288 - 197 - 61 - 66 - 25
2021 - 500 - 234 - 208 - 44 - 69 - 20
2022 - 591 - 289 - 242 - 59 - 81 - 17
नोटः राशि लाख रुपए में है।


कांग्रेस राज में भ्रष्टाचार ज्यादा, इसलिए डूब रही रिडकोरः राठौड़


वसुंधराराजे सरकार में प्राइवेट कंपनी आईएलएंडएफएस के साथ प्रदेश के मेगा हाइवे के लिए रिडकोर ज्वाइंट वेंचर बनाया था। रिडकोर ने तब अच्छा काम किया। लेकिन, कांग्रेस राज में भ्रष्टाचार का खुला तांडव हो रहा है। इसलिए रिडकोर डूबने के कगार पर आ गई है। इसकी टोल रेवेन्यू कम होने के साथ ही रोड भी क्षतिग्रस्त हो रही हैं। जबकि अन्य कंपनियों की टोल राशि बढ़ी है। - राजेंद्र सिंह राठौड़, पूर्व मंत्री


सड़कें खराब नहीं, कंपनी की वैल्यू अच्छी हैः रिडकोर


रिडकोर की वैल्यूएशन अच्छी है। कुछ लोग कंपनी की नकारात्मक छवि बनाने के लिए ऐसा प्रचार कर रहे हैं। हमारे पास 1200 किलोमीटर सड़कें हैं। कुछ मामूली हिस्से को छोड़ दें तो सभी रोड बिलकुल ठीक हैं। यह सही है कि भरतपुर में पिछले दिनों जिला कलेक्टर ने टोल वसूली रोक दी थी। लेकिन, अब मथुरा रोड को ठीक कर दिया है। टोल पर हमने फास्टैग लगाए हैं। इनसे सारा ट्रैफिक कैप्चर हो रहा है। कहीं कोई गड़बड़ी नहीं है।

- मनीष अग्रवाल, सीनियर वाइस प्रेसिडेंट रिडकोर

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